लखनऊ। टीबी को लेकर डाक्टरों का रवैया बहुत ही अजीब है। व्यक्ति में क्षयरोग को पता चलते ही डाक्टर उसे दवाएं देना शुरू कर देता है। छह माह तक दवाएं खाने की हिदायत देते हुए चिकित्सक उसे दवा लिख देते हैं। यह गलत है। व्यक्ति को मरीज समझकर इलाज किया जाना चाहिए न कि टेस्ट ट्यूब, जिसमें बस दवा डालते हुए उसका असर देखा जाता है। यह कहना है डॉ. बीके खन्ना का।
केजीएमयू के पूर्व प्रधानाचार्य एवं पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष रहे डॉ. खन्ना शुक्रवार को एरा मेडिकल यूनिवर्सिटी में ड्रग रजिसटेंस टीबी पर आयोजित नेशनल सीएमई में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। केजीएमयू में एक सख्त व अनुशासन वाले शिक्षक माने जाने वाले डॉ. खन्ना ने कहा कि ड्रग रजिसटेंस आज की सबसे बड़ी समस्या है।
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