पहलगाम जम्मू और कश्मीर राज्य का एक पहाड़ी इलाका है। यह अनंतनाग से 45 किमी दूर लिद्दर नदी के किनारे बसा हुआ है। यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, खासकर अमरनाथ यात्रा के लिए।
हाल ही में, पहलगाम में एक आतंकी हमला हुआ था, जिसमें कई २६ पर्यटकों की जान चली गई थी। इस हमले के बाद, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जांच शुरू कर दी है और कई संदिग्धों को हिरासत में लिया है।
पर्यटकों की वापसी पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद, पर्यटकों में डर का माहौल है और कई लोगों ने अपनी यात्राएं रद्द कर दी हैं।
हालांकि, राष्ट्रीय स्तर के टूर ऑपरेटरों ने कश्मीर के पर्यटन उद्योग को अपना समर्थन दिया है और पर्यटकों का विश्वास फिर से जीतने के लिए दृढ़ संकल्प दिखाया है। कुछ पर्यटकों ने अपनी यात्रा जारी रखने का फैसला भी किया है, जिससे यह उम्मीद बनी हुई है कि स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो सकती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सरकार और सुरक्षा बल स्थिति को सामान्य करने और पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं। आने वाले दिनों और हफ्तों में पर्यटकों की वापसी की सही तस्वीर सामने आ पाएगी।
पीएम मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की और इसे मानवता के खिलाफ एक जघन्य अपराध बताया। उन्होंने कहा कि यह हमला आतंकवादियों की कायरता को दर्शाता है और यह हमारी शांति और सद्भाव की भावना को कमजोर नहीं कर सकता। उन्होंने सुरक्षा बलों की वीरता और बलिदान की सराहना की और कहा कि सरकार आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में दृढ़ है।
यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहीं:
उन्होंने हमले में मारे गए निर्दोष नागरिकों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद मानवता के लिए एक खतरा है और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने का आग्रह किया और कहा कि आतंकवादियों को हमारी एकता को तोड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में दृढ़ है और वह देश को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव कदम उठाएगी।
पीएम मोदी का यह संबोधन देश के लोगों को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने और शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रेरित करने का एक प्रयास था।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, विपक्ष ने कई तरह से अपनी भूमिका निभाई है। उनके कुछ प्रमुख कार्य इस प्रकार रहे:
हमले की कड़ी निंदा: विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं ने एक स्वर में इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और इसे मानवता के खिलाफ अपराध बताया। उन्होंने शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
सरकार से जवाबदेही की मांग: विपक्ष ने सरकार से इस हमले के पीछे के कारणों और सुरक्षा में हुई चूक को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने सरकार से इस घटना की गहन जांच कराने और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग की।
सुरक्षा व्यवस्था पर चिंता व्यक्त करना: विपक्षी दलों ने जम्मू और कश्मीर में बिगड़ती सुरक्षा व्यवस्था पर चिंता व्यक्त की और सरकार से पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह किया।
पीड़ित परिवारों के प्रति एकजुटता दिखाना: कई विपक्षी नेताओं ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उन्हें हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
राजनीतिक बयानबाजी से बचने की अपील: कुछ विपक्षी नेताओं ने इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी से बचने और राष्ट्रीय एकता बनाए रखने की अपील की।
सरकार को सुझाव देना: कुछ विपक्षी दलों ने सरकार को आतंकवाद से निपटने और जम्मू और कश्मीर में शांति स्थापित करने के लिए कुछ सुझाव भी दिए।
कुल मिलाकर, पहलगाम हमले के बाद विपक्ष ने एक जिम्मेदार भूमिका निभाने की कोशिश की है, सरकार से जवाबदेही की मांग की है और पीड़ित परिवारों के साथ अपनी एकजुटता दिखाई है। हालांकि, कुछ मौकों पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी देखने को मिले।
कश्मीरियों ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भी अपनी मेहमान नवाज़ी की अनूठी मिसाल पेश की है। इस मुश्किल घड़ी में भी, स्थानीय लोगों ने पर्यटकों के प्रति करुणा और सहायता का भाव दिखाया है।
यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं कि कैसे कश्मीरियों ने अपनी मेहमान नवाज़ी दिखाई:
जान जोखिम में डालकर मदद करना: कई स्थानीय लोगों ने, जिनमें पॉनीवाले और गाइड शामिल हैं, अपनी जान जोखिम में डालकर फंसे हुए पर्यटकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। सैयद आदिल हुसैन शाह नामक एक पॉनीवाले ने तो पर्यटकों को बचाते हुए अपनी जान भी गंवा दी।
घर और दिल खोलना: हमले के बाद डरे हुए पर्यटकों को कई कश्मीरी परिवारों ने अपने घरों में आश्रय दिया। उन्होंने बिना किसी शुल्क के पर्यटकों को भोजन और रहने की जगह दी और उन्हें सुरक्षित महसूस कराया।
हर संभव सहायता की पेशकश: स्थानीय टैक्सी चालकों और अन्य लोगों ने पर्यटकों को श्रीनगर और अन्य सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने में मदद की। उन्होंने पर्यटकों को हर तरह की सहायता की पेशकश की, जिसमें पैसे की मदद भी शामिल थी।
शोक और एकजुटता व्यक्त करना: पहलगाम के स्थानीय लोगों ने हमले के पीड़ितों के प्रति गहरा शोक व्यक्त किया और पर्यटकों के साथ अपनी एकजुटता दिखाई। उन्होंने कहा कि हमलावरों का कश्मीर की संस्कृति और परंपराओं से कोई लेना-देना नहीं है।
शांति और भाईचारे का संदेश: कई कश्मीरियों ने पर्यटकों से अपील की कि वे घाटी के बारे में सकारात्मक संदेश लेकर जाएं और यह बताएं कि कश्मीरी लोग शांति और भाईचारे में विश्वास रखते हैं।
इन उदाहरणों से पता चलता है कि पहलगाम में हुए दुखद हमले के बाद भी, कश्मीरियत की भावना जीवित है। स्थानीय लोगों ने अपनी पारंपरिक मेहमान नवाज़ी को कायम रखते हुए यह साबित कर दिया कि मानवता आतंकवाद से कहीं बढ़कर है।