इमामबाड़ा सिब्तैनाबाद जो लखनऊ का क़दीमी और तारीखी 173 साल पुराना इमामबाड़ा है, का मुख्य द्वार 2 अप्रैल 2020 को अचानक भरभरा कर गिर गया था। चूँकि उस वक़्त पूरे शहर में लॉक डाउन चल रहा था इस लिए जानमाल का नुकसान नहीं हुआ था। इमामबाड़े के गेट के अचानक गिर जाने से आहत वक़्फ़ इमामबाड़ा सिब्तैनाबाद की कमेटी और मुतवल्ली मोहम्मद हैदर ने आसार ए क़दीमा(ASI) को एक मेमोरेंडम भेज कर कार्यवाही करने और फौरी मरम्मत कराने का अनुरोध किया था , और लगातार रिमाइंडर भेज कर कार्यवाही की मांग की जा रही थी।
उल्लेखनीय है कि मोहम्मद हैदर के द्वारा इसी इमामबाड़े और लखनऊ की तमाम ऐतिहासिक घरोहरों के रखरखाव और मरम्मत करवाने के लिए एक पीOआईOएल हाईकोर्ट में दाखिल की थी जिसपर सुनवाई करते हुए है कोर्ट ने तमाम आदेश पारित किये हैं जिनसे लखनऊ की तारीखी इमारतों – रूमी दरवाज़ा, बड़ा इमामबाड़ा , छोटा इमामबाड़ा ,इमामबाड़ा सिब्तैनाबाद जैसी इमारतों का रखरखाव हुआ है।
इमामबाड़ा सिब्तैनाबाद कमिटी की कोशिशों और काविशों, लखनऊ के ओलमा, जिसमें मुख्य रूप से इमामे जुमा मौलाना कल्बे जव्वाद नक़वी, मौलाना आग़ा रूही, मौलाना यासूब अब्बास, मौलाना अब्बास इरशाद, मौलाना सैफ अब्बास हैं, की निगरानी में आसारे क़दीमा को भेजे गए खतों और अनुस्मारकों से आसरे क़दीमा ने पचास लाख का एस्टीमेट स्वीकृत करते हुए इस काम को जल्द अस जल्द अंजाम तक पहुँचाने की बात की है।
शिया क़ौम और लखनऊ के हेरिटेज लवर्स ने आसारे क़दीमा की इस शानदार पहल पर उनको शुक्रिया अदा करते हुए इस काम के जल्द शुरू हो जाने की ख्वाहिश की है।