तुरंत वाले तीन तलाक को लेकर देशभर में एक बहस छिड़ी हुई है. पिछले काफी वक्त से खूब हो-हल्ला हो रहा है। तीन तलाक पर रोक के संबंध में सरकार अध्यादेश भी ला चुकी है। लेकिन वो राज्सभा में अटका हुआ है। कानून मंत्री रविशंकर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट भी इस पर निर्णय दे चुका है।
बावजूद इसके तीन तलाक के मामले सामने आ रहे हैं। मंगलवार को संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णय देने के बाद से अब तक 248 तुरंत वाले तीन तलाके के मामले दर्ज किए जा चुके हैं। वहीं जनवरी 2017 से लेकर अब तक मीडिया और दूसरे स्त्रोत से 477 मामले सामने आए हैं।
कानून मंत्री का कहना है कि तीन तलाक के सबसे ज्यादा मामले यूपी में दर्ज किए गए हैं। गौरतलब रहे कि मसौदा कानून के तहत, किसी भी तरह का तीन तलाक (बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) कानूनी नहीं होगा।
संसद के मॉनसून सत्र के दौरान राज्यसभा में हंगामे और आम राय न बन पाने की वजह से तीन तलाक पर संशोधन बिल पास नहीं हो सका था। मोदी कैबिनेट ने बिल में अगस्त 2018 को तीन संशोधन किए थे, जिसमें ज़मानत देने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास होगा और कोर्ट की इजाज़त से समझौते का प्रावधन भी होगा।
संशोधन एक- पहले ये सुविधा थी कि तीन तलाक के मामले में कोई भी केस दर्ज करा सकता था। लेकिन नया संशोधन ये कहता है कि अब पीड़िता, सगा रिश्तेदार ही केस दर्ज करा सकेगा।
साभार- ‘न्यूज़ 18’