ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में सक्रिय कोविड-19 मामलों की संख्या 1000 के पार पहुंच गई है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं, उसके बाद केरल और दिल्ली में भी मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि JN.1, NB.1.8.1 और LF.7 जैसे नए वेरिएंट्स के कारण यह वृद्धि हो रही है। हालांकि, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल के अनुसार, अभी तक मामलों की गंभीरता आमतौर पर हल्की है और चिंता की कोई बड़ी बात नहीं है।
सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियां स्थिति पर सक्रिय रूप से नज़र रख रही हैं और लोगों को कोविड-उपयुक्त व्यवहार (जैसे मास्क पहनना, हाथ धोना, भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचना और टीकाकरण करवाना) अपनाने की सलाह दे रही हैं। यदि मामलों में आगे और वृद्धि होती है, तो स्थानीय स्तर पर कुछ प्रतिबंध लागू किए जा सकते हैं, हालांकि पूर्ण लॉकडाउन की संभावना कम है।
भारत में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर, सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियां कई स्तरों पर तैयारी कर रही हैं, हालांकि अभी तक स्थिति गंभीर नहीं मानी जा रही है। मुख्य तैयारियां इस प्रकार हैं:
1. निगरानी और जीनोमिक निगरानी:
- INSACOG (Indian SARS-CoV-2 Genomics Consortium): यह कंसोर्टियम देश में SARS-CoV-2 वेरिएंट्स की जीनोमिक निगरानी कर रहा है ताकि नए वेरिएंट्स का पता लगाया जा सके और उनके प्रसार को ट्रैक किया जा सके। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि क्या मौजूदा वेरिएंट्स ज्यादा गंभीर हैं या वैक्सीन के प्रति प्रतिरोधक हैं।
- सक्रिय मामलों की निगरानी: स्वास्थ्य मंत्रालय लगातार सक्रिय मामलों की संख्या, नए संक्रमणों और ठीक होने वाले मरीजों के आंकड़ों पर नज़र रख रहा है।
2. अस्पताल और स्वास्थ्य सुविधाओं की तैयारी:
- बेड और ऑक्सीजन की उपलब्धता: अस्पतालों को ICU बेड, ऑक्सीजन सप्लाई और अन्य आवश्यक उपकरणों के साथ अपनी ओर से पूरी तैयारी रखने के निर्देश दिए गए हैं। हालाँकि, वर्तमान में नए कोविड मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता कम पड़ रही है, और ज्यादातर मामले मौसमी फ्लू की तरह हल्के बताए जा रहे हैं।
- आइसोलेशन वार्ड: दिल्ली के RML अस्पताल जैसे प्रमुख अस्पतालों ने कोविड मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड तैयार किए हैं।
- जनशक्ति प्रशिक्षण: स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड प्रबंधन और उपचार के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
3. उपचार प्रोटोकॉल और दवाएं:
- मानक उपचार प्रोटोकॉल: देश में कोविड-19 के लिए मानक उपचार प्रोटोकॉल पहले से ही मौजूद हैं, जिनमें हल्के से गंभीर मामलों के लिए मार्गदर्शन शामिल है। इसमें लक्षणों के आधार पर उपचार और यदि आवश्यक हो तो रेमडेसिविर, कॉर्टिकोस्टेरॉइड (जैसे डेक्सामेथासोन) और मॉलनुपिराविर जैसी एंटीवायरल दवाएं शामिल हैं।
- दवाओं की उपलब्धता: सरकार यह सुनिश्चित करती है कि आवश्यक दवाएं और चिकित्सा आपूर्ति उपलब्ध हों। हालांकि, एंटीबायोटिक्स सहित किसी भी दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं किया जाना चाहिए।
4. टीकाकरण और बूस्टर खुराक:
- टीकाकरण कार्यक्रम: भारत में एक व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम चलाया गया है, और पात्र लोगों को बूस्टर खुराक लेने की सलाह दी जा रही है, खासकर कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों (जैसे बुजुर्ग, बच्चे या जिन्हें मधुमेह, कैंसर जैसी बीमारियां हैं)।
- वैक्सीन की प्रभावशीलता: विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान टीके और उपचार नए वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी बने हुए हैं।
5. जन जागरूकता और निवारक उपाय:
- कोविड-उपयुक्त व्यवहार: लोगों को मास्क पहनने, हाथ धोने, सामाजिक दूरी बनाए रखने और भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचने जैसे कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
- लक्षणों की निगरानी: लोगों को संभावित लक्षणों पर ध्यान देने और लक्षण विकसित होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जा रही है।
कुल मिलाकर, भारत में कोविड-19 के लिए उपचार और प्रबंधन के लिए एक मजबूत ढाँचा मौजूद है, जिसे पहले की लहरों के अनुभवों से सुदृढ़ किया गया है। वर्तमान स्थिति में घबराने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन सावधानी और सतर्कता महत्वपूर्ण है।

















