अली हसनैन आब्दी फ़ैज़
दरअसल, किसान चाहते हैं कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)तय करते वक्त उत्पादक की लागत, मांग-आपूर्ति, इनपुट आउटपुट मूल्य में समानता, दाम में बदलाव जैसी शर्तों और नियमों को बना रहने दे। लेकिन सरकार इसे बदल रही है भले ही वो इस बात को न माने लेकिन किसान सरकार के इस बिल से बेहद नाराज हैं और अनुमान है कि ये मामला और आगे जाएगा।
कृषि सुधार से जुड़े तीन विधयकों के राज्यसभा (RajyaSabha) में पास होने के साथ ही इस बिल को लेकर देशभर के किसानों समेत कई किसान संगठन सरकार के विरोध में आ गए हैं। उत्तर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर सोमवार को भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने प्रदर्शन किया।
इस बारे में भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार बहुमत के नशे में चूर है। ये पहली दुर्भाग्यपूर्ण घटना है कि किसानों से जुड़े इन कृषि विधेयकों को पारित करते समय कोई चर्चा नहीं की गई और न ही इस पर किसी को सवाल करने का अधिकार दिया गया। यह भारत के लोकतन्त्र के अध्याय में काला दिन है।
राकेश टिकैत ने चेतावनी दी कि भारतीय किसान यूनियन इस अपने हक की लड़ाई लड़ेगा और अब पीछे हटने वाला नहीं है। किसान इन बिलों के विरोध में 25 तारीख को पूरे देश से सड़कों पर उतरेगा और जब तक कोई समझौता नहीं होगा तब तक पूरे देश का किसान सड़कों पर रहेगा।
कृषि सुधार से जुड़े तीन विधयकों के राज्यसभा में पास होने के साथ ही इस बिल को लेकर किसानों समेत कई किसान संगठन सरकार के विरोध में आ गए हैं। इन संगठनों में अब आरएसएस से जुड़े एक और संगठन का नाम जुड़ गया है। आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ(बीकेएस) अब केंद्र सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया है।
भारतीय किसान संघ के महासचिव बद्री नारायण चौधरी ने इस बारे में कहा कि ये विधयक उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने वाला है और इससे किसानों का जीवन और मुश्किल होने वाला है। एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि भारतीय किसान संघ किसी सुधार के विरोध में नहीं है। पर इन विधेयकों पर किसानों की असल चिंताएं हैं।
दूसरी और महेंद्र सिंह टिकैत ने दावा किया कृषि बिल के खिलाफ सड़क पर उतरेंगे किसान, 25 सितंबर से शुरू होगा देशव्यापी प्रदर्शन
राकेश टिकैत ने चेतावनी दी कि भारतीय किसान यूनियन इस अपने हक की लड़ाई लड़ेगा और अब पीछे हटने वाला नहीं है। किसान इन बिलों के विरोध में 25 तारीख को पूरे देश से सड़कों पर उतरेगा और जब तक कोई समझौता नहीं होगा तब तक पूरे देश का किसान सड़कों पर रहेगा।
बद्रीनारायण बताया कि अब जिसके पास भी पैन कार्ड है, वही व्यापारी बन कर सीधा किसान से डील कर सकता है। सरकार को ऐसा कानून बनाना चाहिए, जिससे यह तय हो सके कि जब उसका उत्पाद खरीदा जाएगा, उसी वक्त उसे पेमेंट हो जाएगा या फिर सरकार उसके पेमेंट की गारंटर बनेगी।
उन्होंने सरकार से सवाल करते हुए पूछा कि पिछले 2 बजट से केंद्र सरकार 22 हजार नई मंडियों के होने की बता करती है लेकिन वो हैं कहा? ये बड़े ही दुर्भाग्य की बता है कि कृषि और खाद्य मंत्रालयों को नौकरशाह चला रहे हैं, जिन्हें जमीनी हकीकत का कोई अंदाजा नहीं है।
बिल में है क्या?
इस विधयक के पास होने से किसान उपज व्यांपार एवं वाणिज्ये (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 में किसान और व्या पारी विभिन्नज राज्यय कृषि उपज विपणन विधानों के तहत अधिसूचित बाजारों के भौतिक परिसरों या सम-बाजारों से बाहर पारदर्शी और बाधारहित प्रतिस्प र्धी वैकल्पिक व्याापार चैनलों के माध्यहम से किसानों की उपज की खरीद और बिक्री लाभदायक मूल्योंं पर करने से संबंधित चयन की सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।
किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वांसन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 में कृषि समझौतों पर राष्ट्री य ढांचे के लिए प्रावधान है, जो किसानों को कृषि व्यापार फर्मों, प्रोसेसरों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ कृषि सेवाओं और एक उचित तथा पारदर्शी तरीके से आपसी सहमति वाला लाभदायक मूल्यल ढांचा उपलब्ध कराता है।