अली हसनैन आब्दी फ़ैज़
यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि राजनीतिक दलों को चुनाव प्रणाली में सुधार करने में कोई दिलचस्पी नहीं है और हमारे लोकतंत्र को कानून बनाने वालों के हाथों नतीजा भुगतना जारी रहेगा। जब यह अपराधी व्यक्ति माननीय बनके हमारे बीच आएंगे तो हमारी पुलिस को इन को सलाम ठोकना पड़ता है।
बिहार इलेक्शन वाच और एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में चुनाव लड़ रहे 1066 प्रत्याशियों में 1064 प्रत्याशियों के स्वयं घोषित घोषणा पत्र का विश्लेषण किया है। इनमें एक कांग्रेस के लखी सराय से प्रत्याशी फुलेना सिंह हैं दूसरे राजद के सूर्यगढ़ से प्रह्लाद यादव हैं इन दोनों व्यक्तियों के आंकड़े इस सर्वे में शामिल नहीं।
एडीआर के अनुसार 1064 प्रत्याशियों में 328 यानी 31 फीसदी ने अपने आपराधिक इतिहास की घोषणा की है। जबकि 244 यानी 23 प्रतिशत ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामलों की जानकारी दी है।
तमाम तरह के दावों के बीच राजनैतिक दल अपराधी व्यक्तियों से अपना पल्ला नहीं झाड़ पा रहे और राजनीतिक हित साधने के लिए बड़े पैमाने पर इंदा ही व्यक्तियों को चुनाव लड़ने को टिकट दिए गए एक बार फिर यह देखने को बिहार में मिल रहा है ताजा रिपोर्ट के अनुसार बड़े
दलों में राजद के 41 प्रत्याशियों में 30 (73%), भाजपा के 29 प्रत्याशियों में 21 (72%), लोजपा के 41 प्रत्याशियों में 24 (59%), कांग्रेस के 21 प्रत्याशियों में 12 (57%), जदयू के 35 प्रत्याशियों में 15 (43%), बसपा के 26 प्रत्याशियों में आठ (31%) ने अपने विरूद्ध आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी है।
इसी तरह से दलगत आधार पर गंभीर आपराधिक मामलों में बड़े दलों में रिपोर्ट के अनुसार बड़े दलों में राजद के 41 प्रत्याशियों में 22 (54%), भाजपा के 29 प्रत्याशियों में 13 (45%), लोजपा के 41 प्रत्याशियों में 20 (49%), कांग्रेस के 21 प्रत्याशियों में 9 (43%), जदयू के 35 प्रत्याशियों में 10 (29%), बसपा के 26 प्रत्याशियों में पांच (19%) ने अपने विरूद्ध आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी है।
महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित घोषित मामलों वाले उम्मीदवार: 29 उम्मीदवारों ने महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों की घोषणा की है। 29 उम्मीदवारों में से 3 उम्मीदवारों ने बलात्कार (आईपीसी धारा -375 और 376) से संबंधित मामलों की घोषणा की है।
हत्या से संबंधित घोषित मामलों वाले उम्मीदवार: 21 उम्मीदवारों ने खुद के खिलाफ हत्या (आईपीसी की धारा -302) से संबंधित मामलों की घोषणा की है।
हत्या के प्रयास से संबंधित घोषित मामलों वाले उम्मीदवार: 62 उम्मीदवारों ने खुद के खिलाफ हत्या (आईपीसी की धारा -307) से संबंधित मामलों की घोषणा की है।
रेड अलर्ट कांस्टीट्यूएंसी *: 71 निर्वाचन क्षेत्रों में से 61 (86%) रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्र हैं। रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्र वे हैं जहां 3 या अधिक चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का राजनीतिक दलों पर उम्मीदवारों के चयन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है क्योंकि उन्होंने फिर से आपराधिक मामलों वाले लगभग 31% उम्मीदवारों को टिकट देने की अपनी पुरानी प्रथा का पालन किया है।
बिहार चरण I के चुनावों में चुनाव लड़ने वाली सभी प्रमुख पार्टियों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा करने वाले उम्मीदवारों को 31% से 70% टिकट दिए हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने 13 फरवरी, 2020 के अपने निर्देशों में विशेष रूप से राजनीतिक दलों को ऐसे चयन के लिए कारण बताने का निर्देश दिया था और आपराधिक छवि के प्रत्याशियों की जगह अन्य व्यक्तियों को उम्मीदवारों के रूप में क्यों नहीं चुना।
इन अनिवार्य दिशानिर्देशों के अनुसार, ऐसे चयन का कारण संबंधित उम्मीदवार की योग्यता, उपलब्धियों और योग्यता के संदर्भ में होना चाहिए। इस पर राजनीतिक दलों द्वारा ऐसे निराधार और आधारहीन कारण बताए गए जैसे व्यक्ति की लोकप्रियता, अच्छे सामाजिक कार्य, आपराधिक मामले राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं आदि।