रोहिंग्याई कार्यकर्ता और चरमपंथियों के अध्ययन के लिए यूरोपीय केंद्र के सलाहकार माइंग ज़रनी ने म्यांमार सरकार द्वारा म्यांमार के 135 अल्पसंख्यक समुदायों में रोहिंग्याई मुसलमानों को स्वीकार न किए जाने के बारे में बताते हुए कहा कि म्यांमार सरकार द्वारा जारी यह लिस्ट केवल म्यांमार सेना के कुकर्मों का औचित्य दर्शाने और यह दिखाने के लिए थी कि म्यांमार के हमेशा रहने वाले खतरे से जूझ रहा है।
उन्होंने कहाः हालांकि म्यांमार में इस्लाम एक लंबी अवधि से शांति का पैगाम देता रहा है, लेकिन चरमपंथी बौद्ध सरकार मुसलमान समाज़ पर कंट्रोल और निगरानी रखने के लिए इस धर्म के प्रचार यहां तक की मस्जिदों के निर्माण और पुनर्निर्माण पर भी नज़र रखती है।