अली हसनैन आब्दी फ़ैज़
कनाडा के प्रधानमंत्री ने एक फ़्रान्सीसी पत्रिका और इसी प्रकार फ़्रान्सीसी राष्ट्रपति की ओर से इस्लाम व इस्लामी मान्यताओं के अनादर पर अपनी प्रतिक्रिया में सभी धर्मों का सम्मान किए जाने की मांग की है।
जस्टिन ट्रूडो ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीम नहीं है, कहा कि ग़लत और मनमाने ढंग से कुछ समाजों की भावनाओं को आहत नहीं किया जाना चाहिए। कनाडा के प्रधानमंत्री ने फ़्रान्स राष्ट्रपति की ओर से इस्लाम व इस्लामी मान्यताओं के अनादर संबंधी रुख़ से अपने आपको अलग करते हुए कहा कि सभी को अन्य धर्मों के साथ सम्मानजनक ढंग से पेश आना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में फ़्रान्स की एक पत्रिका शार्ली हेब्दू में पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के अपमानजनक कार्टून प्रकाशित हुए हैं जिसके बाद फ़्रान्स के राष्ट्रपति ने भी कूटनैतिक व प्रजातांत्रिक संस्कारों से परे बयान देते हुए कहा है कि उनका देश इस तरह के कार्टून छापता रहेगा।
Muslims protesters have toppled today the cross of the already ISIS ruined "St.Sergius and Bakhus greek orthodox church" in the city of Tabqa near Raqqa after the Friday prayers during the anti-France protests.
The city is controlled by the kurdish "Syrian Democratic Forces" pic.twitter.com/4DZWn0QOLo— Vassim (@HakimWisso80) October 30, 2020
इस बीच ईरान में असीरियन ईस्टर्न चर्च के आर्च बिशप मारनेरसाई बेनयामिन ने हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम का अनादर करने पर फ़्रान्स के राष्ट्रपति की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म की पवित्र हस्तियों के अनादर का नतीजा अन्य धर्मों की मान्यताओं व आस्थाओं के अनादर और युद्ध व रक्तपात के रूप में सामने आएगा। उन्होंने कहा कि आज़ादी, मनावता को ऊंचा उठाने के लिए होनी चाहिए।
Naseeruddin Shah, Teesta Setalvad among 100 in a joint statement to condemn France attacks, remarks by Muslim leadershttps://t.co/i7ZmVmcdDe
— Scroll.in (@scroll_in) October 31, 2020
रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो वाले वसल्लम का विवादित कार्टून बनाए जाने के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा उसका समर्थन किए जाने के बाद मुसलमान समुदाय के साथ बुद्धिजीवी वर्ग इसका विरोध कर रहा है दुनिया भर में लोग अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं भारत में लोगों में रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो वाले वसल्लम के कार्टून के बाद से गुस्सा है और उन्होंने महाराष्ट्र में कई जगह पर सड़कों पर फ्रांस के राष्ट्रपति के पोस्टर लगाकर अपना विरोध दर्ज कराया!
You will call us bad, we will tolerate, but if you insult our religion and our Prophet, we will not tolerate,,
Muslims will not remain silent until France apologizes We will continue to protest and boycott in every possible way Please boycott French products#FranceMustApologize pic.twitter.com/UVhQYTnPoN— Khalid Umar (@Khalidumar_01) October 30, 2020
फ़िलिस्तीनियों ने कहा है कि पैग़म्बरे इस्लाम का अपमान समस्त मानवता का अपमान है
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने पश्चिम में इस्लामी मान्यताओं के अनादर और इस्लामोफ़ोबिया से मुक़ाबले के लिए मुसलमानों की एकता पर बल दिया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री
इमरान ख़ान ने पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के बारे में आयोजित एक काॅन्फ़्रेंस में कहा कि इस्लामी मान्यताओं विशेष कर पैग़म्बर के अनादर से ज़्यादा कोई भी काम मुसलमानों की भावनाओं को आहत नहीं करता लेकिन खेद की बात है कि पश्चिमी देशों में पैग़म्बर से मुसलमानों के हार्दिक रिश्ते के बारे में कोई सही कल्पना नहीं है। उन्होंने कहा कि पश्चिम में एक बहुत ही छोटा गुट इस्लामी समुदाय के हितों के ख़िलाफ़ सक्रिय है और अपनी धार्मिक मान्यताओं के प्रति मुसलमानों की भावनाओं से ग़लत फ़ायदा उठा कर कुप्रचार के माध्यम से इसके अभिव्यक्ति की आज़ादी के ख़िलाफ़ दिखाना चाहता है। इमरान ख़ान ने पश्चिम के दोहरे रवैये की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि किस तरह पश्चिमी देशों में होलोकाॅस्ट के बारे में बात करना अपराध है लेकिन इस्लामी मान्यताओं के अनादर का कोई नोटिस नहीं लिया जाता।
लेबनान के हिज़्बुल्लाह संगठन के महासचिव ने कहा है कि तकफ़ीरी गुट जो अपराध कर रहे हैं, उनका पैग़म्बर व इस्लामी समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है और पश्चिमी देशों को तकफ़ीरी गुटों का समर्थन बंद करना चाहिए।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने शुक्रवार की रात हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के शुभ जन्म दिवस के उपलक्ष्य में भाषण करते हुए गुरुवार को फ़्रान्स के नीस शहर में हुए हमले की निंदा की और कहा कि इस्लाम और इस्लामी गुट इस तरह के हमलों की निंदा करते हैं चाहे वे अतीत में हुए हों या भविष्य में हों। उन्होंने कहा फ़्रान्स के अधिकारियों को इस बात का हक़ नहीं है कि एक व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध को पूरे इस्लाम व मुसलमानों से जोड़ दें। उन्होंने कहा कि अगर एक ईसाई व्यक्ति कोई अपराध करता है तो यह सही नहीं है कि हम ईसाइयों और ईसाई धर्म को इसके लिए ज़िम्मेदार मानें।
लेबनान के हिज़्बुल्लाह संगठन के महासचिव ने इस्लाम व मुसलमानों के बारे में फ़्रान्स के राष्ट्रपति एमानोएल मैक्रां के हालिया बयानों की आलोचना करते हुए कहा कि इस्लामी आतंकवाद व फ़ाशिज़म की बात सही नहीं है। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि अमरीका व यूरोप ने अलजीरिया, लीबिया और अफ़ग़ानिस्तान में जो अपराध किए हैं उन्हें किसी भी मुसलमान ने ईसाई आतंकवाद नहीं कहा है। उन्होंने मैक्रां समेत पश्चिमी नेताओं को नसीहत की कि एक धर्म के रूप में इस्लाम के सम्मान के लिए इस्लामी आतंकवाद व इस्लामी फ़ाशिज़म जैसे शब्दों के इस्तेमाल से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि फ़्रान्स के अधिकारियों को परिणामों पर काम करने के बजाए इस संकट के कारणों को खोजना चाहिए और दुनिया भर के मुसलमानों को विश्वास दिलाना चाहिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रा के समर्थन के बारे में उनका दावा एक मज़बूत दावा है।
लेबनान के हिज़्बुल्लाह संगठन के महासचिव ने इस बात की तरफ़ इशारा करते हुए कि जिन लोगों ने होलोकाॅस्ट के बारे में बात की उन्हें जेलों में डाल दिया गया, कहा कि फ़्रान्स और यूरोप में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पूरी तरह से खुली हुई नहीं है बल्कि वे राजनैतिक व सुरक्षा के बंधनों में जकड़ी हुई है। हसन नसरुल्लाह ने यह पूछते हुए कि यहूदियों के जनसंहार के बारे में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता क्यों नहीं है? आशा जताई कि पश्चिमी देश अभिव्यक्ति की आज़ादी के अर्थ पर पुनर्विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि फ़्रान्सीसी अधिकारियों को आतंकवाद के सामने घुटने टेकने के बजाए समस्याओं का समूल समाधान करना चाहिए। हसन नसरुल्लाह ने कहा कि दुनिया का कोई भी मुसलमान अपने पैग़म्बर का अनादार बर्दाश्त नहीं करेगा कहा कि जैसा कि मिस्र की अलअज़हर यूनिवर्सिटी के चांसलर ने प्रस्ताव दिया है, पैग़म्बरों व पवित्र धार्मिक हस्तियों के अनादर को विश्व स्तपर पर अपराध माना जाए।