ग़ज़्ज़ा पट्टी का परिवेष्टन करने के कारण संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से ज़ायोनी शासन की आलोचना किए जाने के बाद यह शासन, राष्ट्र संघ मानवाधिकार परिषद से निकलने पर विचार कर रहा है।
रेडियो इस्राईल की रिपोर्ट के अनुसार ज़ायोनी प्रधानमंत्री बेनयामिन नेतनयाहू ने सोमवार को बंद दरवाज़ों के पीछे होने वाली एक बैठक के बाद कहा कि वे संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार परिषद के साथ तेल अवीव के संबंधों पर पुनर्विचार करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद हम इस परिषद में बने रहने या इससे निकल जाने की समीक्षा करेंगे।
राष्ट्र संघ मानवाधिकार परिषद में इस्राईल के प्रतिनिधि अवीतार मानोर ने भी इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया स्वरूप सोमवार को परिषद की बैठक में भाग नहीं लिया। उन्होंने कहा कि वे बैठक में भाग नहीं ले रहे हैं क्योंकि यहय परिषद न्याय की अनदेखी कर रही है और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार के संबंध में उसकी दृष्टि पूरी तरह से राजनैतिक है।
ज्ञात रहे कि संयुक्त राष्ट्र संघ के एक स्वतंत्र आयोग ने 22 जून को वर्ष 2014 में ग़ज़्ज़ा युद्ध के बारे में अपनी रिपोर्ट में ग़ज़्ज़ा के विरुद्ध अपार सैन्य बल प्रयोग करने पर इस्राईल की आलोचना की थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि सैकड़ों फ़िलिस्तीनी अपने घरों में मारे गए हैं जिससे पता चलता है कि इस्राईल को हवाई हमलों में असैनिकों के मारे जाने की चिंता नहीं थी।