
..बेगम हज़रत महल ने कहना मान लिया और वहां से उन्होने शरफ उद दौला नवाब इब्राहिम खान के घर को आबाद किया लकिन यहाँ भी उनको कुछ शक हुआ और हज़रत महल ने हुसैनाबाद महल सरा का रुख किया मगर फिर शरफ उद दौला के घर आईं और रात साह जी ड्योढ़ी पैर गुज़ारी.यही वह मकान है जहाँ से बेगम हज़रत महल कि आखरी सवारी नेपाल रवाना हुई और कभी वापस नहीं आयीं.यही वह ड्योढ़ी है जहाँ एक अरसे तक हिंदी के प्रखियात लेखक अमृत लाल नगर ने अपनी जिंदिगी का एक बड़ा हिस्सा गुज़ारा .उनकी प्रसिध्द पुस्तकें इस मकान मे लिखी गईं .
begum hazrat mahal
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