एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 7 लाख रोहिंग्या शरणार्थियों के म्यांमार से चले जाने के बाद उन स्थानों पर म्यांमार सरकार सैन्य अड्डे बना रही है, जहां पहले रोहिंग्या समुदाय के लोग रहा करते थे। यह वह जगहें हैं, जहां रोहिंग्याओं के घर और मस्जिद थे।
इस बात का पता सेटेलाइट फोटोज देखने पर चला है। फोटोग्राफ और सैटेलाइट इमेजरी का हवाला देते हुए एमनेस्टी की रिपोर्ट में पाया गया कि अधिकारियों ने रोहिंग्या गांवों के बचे हुए बचे हुए जंगलों और इमारतों को ध्वस्त कर दिया। इस कार्रवाई को एमनेस्टी इंटरनेशनल ने रोहिंग्या समुदाय की जमीन कब्जाने जैसा बताया है।
यहां के पेड़ों और अन्य वनस्पतियों को ख़त्म कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई क्षेत्रों में परिदृश्य लगभग नहीं पहचानने योग्य हो गया है। सुरक्षा के आधार और बुनियादी ढांचे के रूप में या गैर-रोहिंग्या लोगों के लिए बने गांवों के रूप में नया निर्माण शुरू हो गया है।
प्राधिकरणों ने इस आरोप को खारिज कर दिया है कि इससे सबूत नष्ट हो जाएगा। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक बाजार में इमारतों की बुलडोज़ज़िंग का उदाहरण पेश किया है लेकिन बाजार के मालिक को कोई मुआवजा नहीं दिया गया।