नई दिल्ली: दिल्ली की सड़कों को वाहनों की भीड़भाड़ से मुक्त करने के लिए शहरी विकास मंत्रालय की ओर से बनाई गई कमिटी अब विचार कर रही है कि 25 हजार बसें खरीदने की सिफारिश की जाए। एक्सपर्ट भी कमिटी पर दबाव बना रहे हैं कि फ्लाईओवर और टनल बनाने की बजाय पहले ज्यादा बसें लाई जाएं और फुटपाथों को उम्दा बनाया जाए।
शहरी विकास मंत्री एम. वैंकेया नायडू के निर्देश पर पिछले साल यह कमिटी बनाई गई थी। कमिटी की ड्राफ्ट रिपोर्ट पर एक्सपर्ट ने जो सुझाव दिए हैं, उनमें कहा गया है कि फिलहाल दिल्ली में और फ्लाईओवर और सुरंगें बनाने की योजनाओं को बंद किया जाए और उसकी जगह ज्यादा बसें लाई जाएं। मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि कमिटी को एक्सपर्ट और एनजीओ की ओर से जो सुझाव मिले हैं, उनमें से ज्यादातर ने फ्लाईओवरों की तादाद बढ़ाने का कड़ा विरोध किया है।
उनका कहना है कि अब तक दिल्ली में लगभग 100 फ्लाईओवर बन चुके हैं, लेकिन जाम की समस्या हल नहीं हुई। इसकी वजह यह है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर फोकस ही नहीं किया जा रहा है जिसका नतीजा यह है कि जितने भी फ्लाईओवर बनते हैं, उसी अनुपात में वाहन बढ़ जाते हैं। फ्लाईओवरों पर भी अब जाम लगने लगा है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि सबसे पहले बसों की तादाद बढ़ाई जाए ताकि लोग बसों में चलने के लिए प्रोत्साहित हों। जब ऐसी स्थिति आए, तब सरकार प्लाईओवर जैसे विकल्पों को आगे बढ़ा सकती है।
अधिकारियों का कहना है कि बसों की तादाद से कमिटी भी संतुष्ट नहीं है। इस वक्त जो छह हजार बसें हैं, उनमें से साढ़े पांच हजार बसें ही सड़कों पर आती हैं। यानी बसों की तादाद उतनी ही है, जितनी पांच साल पहले थी। कायदे से इस वक्त 11 हजार बसें होनी चाहिएं। यही नहीं, इस वक्त डीटीसी की लगभग एक हजार बसें तो ऐसी हैं, जिनकी उम्र लगभग पूरी हो चुकी है।
इसी तरह से 3700 लो फ्लोर बसों की उम्र भी 2020 तक पूरी हो जाएगी। ऐसे में कमिटी यह सिफारिश करने की तैयारी में है कि 25 हजार बसें खरीदने की प्रक्रिया शुरू की जाए ताकि अगर डीटीसी की बसें पुरानी होकर हटती जाएं तो नई बसें आती रहें और 2020 में जब ये लो फ्लोर बसें हटें तो उस वक्त फिर दिल्ली में हाहाकार जैसी स्थिति न बने।
कमिटी से जुड़े दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि कमिटी अब तक तो 40 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं प्रस्तावित करने की तैयारी की थी, लेकिन अब हो सकता है कि इसमें बदलाव किया जाए और कुछ फ्लाईओवर प्रोजेक्टस को हटाकर उनकी जगह बसें खरीदने के प्रस्ताव में बढ़ोतरी की जाए। उम्मीद है कि जल्द ही कमिटी की फाइनल बैठक में इस मसले पर फैसला होगा।