लखनऊ. रमजान के पाक महीने की शुरुआत इस साल भीषण गर्मी में 16 घंटे के उपवास की चुनौती के साथ हुई थी। इसके बाद बारिश शुरू हो गई, जोकि पुराने लखनऊ के रोजेदारों के लिए एक बड़ी समस्या साबित हो रही है। बरसात शुरू होते ही शहर की गलियों में जलभराव शुरू हो गया, जिससे रोजेदारों को घर से निकलने में भी परेशानी हो रही है।
पुराने शहर के कई क्षेत्रों में रविवार को हुई लगातार बारिश के बाद जल निकासी की दिक्कत खड़ी हो गई है। अव्यवस्थित तरीके से बनी नालियों की वजह से सड़कों पर जलभराव की स्थिति पैदा हो गई है। यदि यही हाल रहा, तो मंसूर नगर जैसे कुछ क्षेत्र तो पूरी तरह से जलमग्न हो सकते हैं।
रमजान के महीने के दौरान सफाई पर काफी जोर दिया जाता है। ऐसे में रोजेदार घर से बाहर निकलने से बच रहे हैं। साथ ही जो मजबूरन बाहर निकलते हैं, उन्हें घर लौटकर दोबारा स्नान करना पड़ता है। सड़कों पर शाम को रोजा इफ्तार के समय काफी चहल-पहल होती है। इस समय लोग बारिश से बचने के लिए छाता लिए हुए और पन्नी पहने हुए जलमग्न सड़कों पर सावधानी से चलते हुए दिख जाएंगे। पुराने शहर में कई गलियों की हालत तो और भी ज्यादा बदतर है। वहां हल्की बारिश के बाद ही सड़कों की हालत खराब हो जाती है। मेनहोल भी खुले हुए हैं।
दरगाह हजरत अब्बास के पास रहने वाले जरघम अब्बास ने बताया, ‘सड़कों की हालत बहुत खराब है। यहां से बाजार जाने के लिए कई बार सोचना होता है। यदि जरूरी है, तो हमें गंदी सड़कों से होकर जाना पड़ता है। बाजार जाने के दूसरे रास्ते पर पांच गुना ज्यादा समय लगता है।’
दिल्ली स्थित बैंक में काम करने वाले फैजी रिजवी, जोकि अपने परिवार के साथ सप्ताह के अंत में रमजान मनाने के लिए आए थे, वह भी यहां की गलियों की स्थिति से काफी निराश दिखे। उन्होंने कहा, ‘मैं कुछ खाने का सामान लेने के लिए अकबरी गेट पर गया था, लेकिन वहां का दृश्य देखकर मेरी भूख ही मिट गई। मकानों की नालियों का गंदा पानी खाने पर टपक रहा था। इससे कई बीमारियां पैदा हो सकती हैं।’
कश्मीरी मोहल्ला निवासी मोहम्मद हाशिम ने बताया कि उनके इलाके में रोजा इफ्तारी के लिए मेजबानी की योजना बनाई गई थी। जब वह मिठाई लेने के लिए निकले, तो गुलाम हुसैन पुल और अकबरी गेट के बीच उनकी कार कीचड़ में फंस गई। इसके बाद कीचड़ में घुसकर उन्हें कार को धक्का देना पड़ा। सड़कों की यही स्थिति हर बार इस मौसम में होती है। कई बार शिकायत करने के बावजूद भी प्रशासन इसपर कोई ध्यान नहीं देता है। जल निकासी के लिए अधिकारियों ने अबतक कुछ भी नहीं किया।