लखनऊ : पीस पार्टी में बुधवार को तख्ता पलट हो गया। विधायकों ने डॉ. अयूब को नेता विधानमंडल दल से हटाते हुए अखिलेश सिंह को नया नेता चुन लिया है। मलिक कमाल युसूफ पार्टी के मुख्य सचेतक होंगे। डॉ. अयूब ने कहा है कि पीस पार्टी ने सपा के सांप्रदायिक चेहरे को बेनकाब कर दिया था, इसलिए सपा ने लालच देकर तोड़फोड़ का काम किया है।
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में पीस पार्टी को चार सीटों पर जीत मिली। पार्टी के संस्थापक डॉ. अयूब संतकबीरनगर जिले की खलीलाबाद, पूर्व मंत्री मलिक कमाल युसूफ सिद्धार्थनगर की डुमरियागंज, अखिलेश सिंह रायबरेली और अनीसुर्रहमान मुरादाबाद की कांठ विधानसभा सीट से चुनाव जीते हैं। चुनाव के बाद से ही बाकी विधायक अयूब के व्यवहार से आहत होकर नये रास्ते की तलाश में थे। नवंबर 2012 में तो पीस पार्टी के विघटन की बात सामने आयी, लेकिन तब अयूब ने संभाल लिया था। तभी से मौके की तलाश में जुटे बाकी विधायकों ने एकजुट होकर बुधवार को सदन में डॉ. अयूब का तख्ता पलट दिया। इस फैसले से डॉ. अयूब के राजनीतिक भविष्य पर संकट के बादल साफ दिख रहे हैं।
पीस पार्टी का इतिहास : गोरखपुर जिले के बड़हलगंज स्थित एक निजी अस्पताल के सर्जन डॉ. मोहम्मद अयूब ने फरवरी 2008 में पीस पार्टी की स्थापना की। पिछड़े मुसलमानों को लेकर बनाई गयी इस पार्टी ने कई धु्रवों से तालमेल कर अपनी स्थिति मजबूत की। पहली बार 2009 के लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 सीटों में 21 पर अपनी किस्मत आजमाई। पार्टी को कई सीटों पर 75 हजार से एक लाख तक वोट मिले, इसलिए विधानसभा के चुनाव में यह पार्टी आकर्षण का केंद्र हो गयी। हालांकि चुनाव के दौरान ही पार्टी पर कई गंभीर आरोप लगे। अपना दल के गठबंधन से चुनाव मैदान में उतरी पीस पार्टी को सिर्फ चार सीटों पर सफलता मिली।