नई दिल्ल:इराक से भारतीय नर्सों की कुशलतापूर्वक वापसी कराने के बाद अब सरकार के सामने लीबिया में भी ऐसी ही चुनौती खड़ी हो गई है। लीबिया में सरकारी सेनाओं और विद्रोहियों के बीच चल रहे संघर्ष में करीब 6000 भारतीय फंसे हैं। इनमें कई भारतीय नर्स भी हैं।
पिछले दो हफ्ते में देश के दूसरे सबसे बड़े शहर त्रिपोली और आसपास के इलाकों में सरकार समर्थित लड़ाकों और इस्लामिक विद्रोहियों के बीच भारी हिंसा हो रही है। 2011 में मुअम्मर गद्दाफी को सत्ता से हटाने के लिए छिड़े संघर्ष के बाद से यह अब तक की सबसे बड़ी हिंसा हैं।
इराक जैसी किसी स्थिति की आशंका को देखते हुए भारत सरकार ने ऐसे लोगों को एयर टिकट मुहैया कराने का फैसला किया है जो लीबिया से निकलना चाहते हैं। लीबिया में करीब 750 भारतीय नर्स हैं। इनमें से अधिकतर केरल से हैं। इनमें से करीब 100 स्वदेश लौटना चाहती हैं और इसके लिए उन्होंने त्रिपोली में भारतीय मिशन से मदद मांगी है। हालांकि अधिकतर नर्स अभी इसलिए लौटने को तैयार नहीं हैं क्योंकि उन्हें कई महीने की सैलरी नहीं मिली है और वे इसे लिए बिना लीबिया नहीं छोड़ना चाहती हैं।
हालांकि अधिकारियों का मानना है कि अभी स्थिति इतनी खराब नहीं है कि 2011 के जैसा ऑपरेशन चलाया जाए। 2011 में गृहयुद्ध के दौरान भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन सेफ होमकमिंग चलाया गया था और लोगों को खास विमानों या इंडियन नेवी की मदद से निकाला गया था।
इस बीच, विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि भारतीय नागरिकों से हिंसा वाले क्षेत्रों से निकल आने और लीबिया छोड़ने का परामर्श जारी करने के एक दिन बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने वहां भारतीय नागरिकों की सुरक्षा की स्थिति की समीक्षा की। त्रिपोली स्थित भारतीय मिशन की क्षमता में वृद्धि करने के उनके निर्देश के बाद लीबिया से भारतीय नागरिकों की वापसी की प्रक्रिया आसान करने के लिए अतिरिक्त कर्मचारी तैनात कर दिए गए हैं।