नोटबंदी के ऐलान से चंद घंटे पहले रिज़र्व बैंक ने मोदी सरकार से साफ कह दिया था कि इससे न तो कालेधन पर असर पड़ेगा और न ही फर्जी नोटों पर रोक लग सकेगी। साथ ही यह चेतावनी भी दी थी कि इससे अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा जाएगी।

ये सारा खुलासा हुआ आरटीआई के जवाब में जिसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सोमवार को जारी किया। सात पन्ने के इस खुलासे से सामने आया कि नोटबंदी के ऐलान के चंद घंटे पहले हुई आरबीआई की बैठक में कहा गया था कि देश में कालेधन का बड़ा हिस्सा नकद के बजाए रियल एस्टेट यानी जमीन-जायदाद में लगाया गया है।
Once the next government takes charge there must be a White Paper on
1)Decision making & impact of Demonetisation
2)Unemployment Situation since 2014
3)GDP statistics
4)Utilisation of fuel taxes & cess
5)Use of public funds for political campaigning
India needs answers
— Ahmed Patel Memorial (@ahmedpatel) March 11, 2019
ऐसे में नोटबंदी करने से कालेधन पर और जमीन-जायदाद पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। इस बैठक में आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल के साथ ही मौजूदा गरवर्नर शक्तिकांत दास भी मौजूद थे।
इसी बैठक में आरबीआई के डायरेक्टर्स ने कहा था कि सिर्फ 400 करोड़ रुपए के फर्जी नोट बाजार में हैं, जबकि कुल नकदी 15 लाख करोड़ के आसपास है। ऐसे में यह रकम बेहद छोटी है और इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।
Demonetisation was done despite the reservations of the RBI. Urjit Patel signed the resolution of the RBI BOARD more than a month after demonetisation. Govt. caught lying again.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) March 11, 2019
बैठक में एक और निष्कर्ष निकाला गया छा कि नोटबंदी से दिहाड़ी मजदूर, होटलों और टैक्सी चलाने वालों समेत बस, ट्रेन और हवाई यात्रा करने वालों पर सबसे पहले और ज्यादा असर पड़ेगा।
Demonetisation biggest scam in independent India: CP @RahulGandhi #DemonetisationYaadRakhnahttps://t.co/8M3VgVP0yV
— Mumbai Congress (@INCMumbai) March 11, 2019
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मीद 8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे नोटबंदी का ऐलान करते समय कहा था कि देश की अर्थव्यवस्था को कैशलेस यानी नकद विहीन बनाने की जरूरत है। लेकिन इस ऐलान से पहले हुई आरबीआई की बैठक में बैंक बोर्ड ने इसे भी खारिज कर दिया था। बोर्ड का कहना था कि नकदी का चलने होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है और नोटबंदी से भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
आरटीआई के तहत मिली इन जानकारियों को जारी करते हुए जयराम रमेश ने कहा कि नोटबंदी के दिन हुई आरबीआई बैठक के मिनट्स (बैठक में हुए फैसलों का ब्योरा) हासिल करने में 26 महीने का वक्त लगा। उन्होंने बताया कि नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल तीन अलग-अलग स्टैंडिंग कमेटी के सामने पेश हुए, लेकिन उन्होंने किसी भी बैठक में आरबीआई बोर्ड की इस बैठक का जिक्र तक नहीं किया। रिकॉर्ड के मुताबिक यह आरबीआई बोर्ड की 561वीं बैठक थी।
Congress releases Minutes of the Meeting where RBI has opposed the Demonetisation move of the Modi Govt. pic.twitter.com/YThBCtel3D
— Rachit Seth🇮🇳 (@rachitseth) March 11, 2019
लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि बैठक के निष्कर्षों और बोर्ड की आपत्तियों के बावजूद नोटबंदी के सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी गई थी। जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि आरबीआई ने इस फैसले को मंजूरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दबाव में थी।
#Demonetisation disrupted the agricultural supply chains across the country as cash transactions were the lubricant that dominated the mandis.#KisanVirodhiModi
— CPI (M) (@cpimspeak) March 11, 2019
जयराम रमेश ने कहा कि यह जानकारी सामने आने के बाद यह बात अब साफ तरीके से कही जा सकती है कि रिजर्व बैंक को नोटबंदी के नतीजे उसी समय पता थे और सुधार होने की बजाय परेशानी के बढ़ने की बात उसे पता थी। लेकिन रिजर्व बैंक के अधिकारियों के तर्कों और निष्कर्षों पर गौर करने की जगह पीएम मोदी ने अपने मन से फैसला लिया।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी देश पर किसी कहर से कम नहीं थी। उसके बाद जो अर्थव्यवस्था ध्वस्त हुई तो अभी तक नहीं उबर सकी है। पहले से तबाह हो चुकी ग्रामीण अर्थव्यवस्था इसलिए और बर्बाद हो गयी क्योंकि शहरों में काम करने वाला मजदूर एक बार फिर लौट कर अपने गांवों में चला गया। जहां भुखमरी पहले से ही उसका इंतजार कर रही थी। नतीजतन कभी पूरे परिवार के पेट का साधन बना शख्स अब खुद ही परिवार पर बोझ बन गया।
RBI board warned of noteban’s short-term impact on economy; no effect on black money #Demonetisation
https://t.co/lnfXbGbG58— National Herald (@NH_India) March 11, 2019
जयराम रमेश ने आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के बारे में आरटीआई से मिली जानकारी का ब्योरा रखते हुए यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार बनी तो नोटबंदी के बाद करचोरी के लिए पनाहगाह माने जाने वाली जगहों पर पैसे ले जाने में असामान्य बढ़ोतरी तथा देश के बैंकों में असामान्य ढंग से पैसे जमा किए जाने के मामलों की जांच की जाएगी।

















