अफ़ग़ान राष्ट्रपति हामिद कर्ज़ई ने कहा है कि हो सकता है वह अमरीका के साथ द्विपक्षीय समझौते पर दस्तख़त न करें जो अमरीकी सेना को अफ़ग़ानिस्तान में 2014 के बाद भी तैनात रहने की अनुमति देगा।
उन्होंने बीबीसी से जो सरकार द्वारा संचालित चैनल है, काबुल में साक्षात्कार में कहा कि वह उक्त समझौते पर दस्तख़त से पहले पारंपरिक क़बायली एसेंबली लोया जिर्गा से परामर्श करेंगे।
अफ़ग़ान राष्ट्रपति हामिद कर्ज़ई ने कहाः “ इस समझौते को अफ़ग़ानिस्तान के हित के अनुकूल होना चाहिए और यदि ऐसा न हुआ तो स्वाभाविक सी बात है कि हम अलग मार्ग पर जाएंगे।”
उन्होंने अफ़ग़ान जनता के लिए बड़ी पीड़ा का कारण बनने के लिए इस देश में अमरीका की अगुवाई में मौजूद नेटो सेना की निंदा करते हुए कहा कि सुरक्षा मोर्चे पर नेटो का पूरा अभ्यास अफ़ग़ानिस्तान के लिए बहुत अधिक पीड़ा, जानी नुक़सान और बिना किसी लाभ का कारण बना क्योंकि यह देश सुरक्षित नहीं है।
ज्ञात रहे अमरीका अफ़ग़ान सरकार पर द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर के लिए दबाव डाल रहा है जिस पर जारी महीने अक्तूबर के अंत तक समझौता होना है