स्कूल में बच्चों को मानवाधिकार की शिक्षा दी जानी चाहिए, इससे वह अपने और दूसरों के अधिकारों को जानेंगे और उसका पालन सुनिश्चित करेंगे। यह बात आज मानवाधिकार दिवस के अवसर पर माइंडशेयर और उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग के द्वारा आयोजित संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस तरुन चटर्जी ने कही। इस अवसर पर आयोग के अध्यक्ष जस्टिस तरुण चटर्जी ने माइंडशेयर और उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग द्वारा प्रकाशित मानवाधिकार शिक्षा पुस्तिका का विमोचन किया गया। उन्होंने पुस्तिका के बारे में बताते हुए कहा कि आयोग ने स्कूलों में मानवाधिकार शिक्षा के उद्देश्य से पुस्तिका के दो अंक प्रकाशित किये हैं और आयोग द्वारा इसे माध्यमिक शिक्षा में सम्मिलित किये जाने की अनुशंसा की गयी है।
उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा इसका प्रस्ताव शिक्षा विभाग को भेजा गया है। जस्टिस चटर्जी ने वर्तमान प्रमुख सचिव मध्यमिक शिक्षा श्री जीतेन्द्र कुमार के द्वारा इस प्रस्ताव पर गंभीरता पूर्वक विचार करने की सराहना करते हुए कहा कि वह पूर्व में आयोग में भी सेवाएंगे दें चुके है इसलिए उम्मीद है कि वर्तमान सत्र में माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा मानवाधिकार शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया जाएगा। इस अवसर में उन्होंने मानवाधिकार पर एक पेंटिंग प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
संगोष्ठी के मुख्य वकता प्रोफेसर खान मसूद अहमद, कुलपति ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय ने कहा शिक्षण संस्थानों में भी हो रहे बहुत से कार्य मानवाधिकार के विरुद्ध हैं जिनपर रोक लगाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा की सिर्फ एक दिन नहीं बल्कि हमें साल भर मानवअधिकरों को याद रखने की ज़रुरत है।
संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कुंवर महिराज ध्वज ने कहा कि विदेशी संस्कृति और भारतीय संस्कृति में बहुत अंतर है इसलिए मानवाधिकार को भारतीय परिपेक्ष में समझने की आवश्यकता हैं। अगर रेगिस्तान के आदमी को हिमालय के कपडे पहनने को कहा जाये तो यह भी अधिकारों का हनन होगा। इसके साथ ही मानवाधिकार के नाम पर देश की सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था में अड़चन पहुँचाने के कार्यों की भी भर्तस्ना की जानी चाहिए।
संगोष्ठी की अध्यक्षता श्री राकेश मित्तल ने की। उन्होंने कहा कि अधिकारों की बात करने की ज़रुरत इसलिए पड़ी क्यूंकि कानून अपना काम नहीं कर रहा है। अगर कानून अपना काम सही से करे तो अधिकारों की बात नहीं करनी पड़ेगी। उन्होंने एक घटना का वर्णन करते हुए कहा कि ठीक उसी समय जब बिहार में अरहरिया नाम के एक गाँव में ५० फ़ीसदी लोगों के पास चप्पल नहीं थी उसी समय मुख्यमंत्री की चप्पल हवाई जहाज़ से मंगवाई जा रही थी ।
अंत में माइंडशेयर के महासचिव सय्यद जुल्फी ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का सञ्चालन राजकीय अभिलेखागार की निदेशक डा. रुबीना बेग ने किया।