इराक़ के मूसिल नगर की जनता को रमज़ान के महीने में विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
आईएसआईएल ने कूलर, पंखे और एसी जैसी ठंडक पहुंचाने वाली चीज़ों पर प्रतिबंध लगा दिया है। मूसिल की सड़के वीरान पड़ी हैं और खाने-पीने की वस्तुओं की क़ीमतें बहुत बढ़ गई हैं तथा ईंधन नहीं मिल रहा है। मूसिल नगर में आईएसआईएस के प्रवेष पर जिन लोगों ने खुशियां मनाई थीं अब वे अपने कार्य से लज्जित हैं।
आईएसआईएस ने जो कार्यक्रम प्रस्तुत किये हैं उन्हें वे लोग बिल्कुल भी पसंद नहीं कर रहे हैं। मूसिल के लोग अपनी आदत के अनुसार इफ़्तार के बाद घरों से अब बाहर नहीं निकल सकते। इन आतंकियों ने जो स्थिति उत्पन्न कर दी है उससे ईंधन की आपूर्ति पूर्ण रूप से बाधित हो गई है।
जबसे बीजी रिफ़ाइनरी आईएसआईएल के आतंकवादियों और इराक़ के सुरक्षाबलों के बीच झड़पों का स्थल बनी है, मूसिल के लिए ईंधन की आपूर्ति रोक दी गई है। यहां के रहने वालों को 20 लीटर पेट्रोल के लिए चार दिनों की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। ईंधन न होने की स्थिति में मूसिल के पावर हाउस बंद पड़े हैं।
रमज़ान के दौरान भीषण गर्मी में पंखे, कूलर और एयर कंडिश्नर पर प्रतिबंध ने मूसिल वासियों के जीवन के लिए ऐसी समस्याएं उत्पन्न कर दी हैं जिनका उल्लेख करना भी संभव नहीं है। आतंकवादी गुट दाइश ने पंखे सहित घर को ठंडा रखन वाले साधनों को सिर्फ़ इसलिए वर्जित घोषित किया है क्योंकि ये चीज़े पैग़म्बरे इस्लाम और उनके साथियों के दौर में नहीं थीं। दाइश के इस दृष्टिकोण ने उन लोगों के जीवन को कठिन कर दिया है जो इस गुट के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में रह रहे हैं। इसी प्रकार इस तकफ़ीरी गुट ने महिलाओं के दीवार से टेक लगाने पर यह कह कर प्रतिबंध लगा दिया है कि अरबी में दीवार को जेदार कहते हैं और जेदार पुल्लिंग शब्द है। इसी प्रकार पंखे सहित घर को ठंडा रखन वाले साधन चूंकि पैग़म्बरे इस्लाम और उनके साथियों के काल में नहीं थे इसलिए इनका प्रयोग वर्जित है और ऐसा करना दाइश की नज़र में बिदअत अर्थात धर्म में नई चीज़ शामिल करने जैसा है।
दाइश के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में चीज़ों की क़ीमतों में वृद्धि, चीज़ों की कमी और कर्मचारियों को वेतन न मिलने से भी लोगों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गयी है। दुकानदारों ने सुरक्षा व बिजली के अभाव में अपनी दुकानें बंद कर दी हैं। मूसिल के नागरिक माहिर सदई ने शफ़क़ न्यूज़ को बताया, “मैं एक लोहार हूं किन्तु जबसे अशांति शुरू हुयी मैंने अपनी दुकान बंद रखी है।”
एक और नागरिक सईद अली का कहना है, “मैं खाने के होटल में काम करता था किन्तु मुझे काम से निकाल दिया गया है क्योंकि मालिक के पास इतनी आय ही नहीं थी कि मुझे वेतन देता।”
मूसिल में इन दिनों रमज़ान इस तरह गुज़र रहा है कि लोग अपने धार्मिक संस्कारों को अंजाम देने मस्जिद नहीं जा सके। मूसिल का एक नागिरक कहता है, “मैं मस्जिद जाने से इसलिए डरता हूं क्योंकि सभी मस्जिदों में दाइश के सदस्य मौजूद हैं और अपने झंडे उन्होंने फहरा रखे हैं। अरबी चैनल क्यों इन चीज़ों को नहीं दिखाते? (