लखनऊ::मोहनलालगंज केस में लगातार उलझती कड़ियों और बयानों के बीच यूपी सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। इस केस में पुलिस ने खुलासे की जो स्क्रिप्ट रची उसमें न तो उसके किरदार फिट बैठ रहे थे और न ही साक्ष्य। अब फॉरेंसिक रिपोर्ट ने भी पुलिस के दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
फॉरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक बलसिंह खेड़ा में महिला से रेप की कोशिश नहीं, बल्कि गैंगरेप हुआ था। सूत्रों के मुताबिक महिला के नाखूनों में एक से अधिक लोगों के चमड़े की कोशिकाएं मिली हैं। सूत्रों के मुताबिक, शनिवार शाम को दो रिपोर्ट आईं, जिसमें पहली रिपोर्ट में महिला से गैंगरेप की पुष्टि होती है। दूसरी रिपोर्ट में भी रेप होने की पुष्टि की गई है। फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद से अब तक उत्तर प्रदेश की पुलिस सवालों के घेरे में आती जा रही है।
दरअसल, इस मामले में पुलिस अधिकारियों के दावे और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट शुरू से ही सवाले के घेरे में हैं। फॉरेंसिक एक्सपर्टस के दावों ने पुलिस की कहानी को और उलझा दिया है। हालांकि खुलासे में कई पेच और सवाल सामने आने के बाद भी पुलिस ऑफिसर अपनी कहानी के सच होने का दावा कर रहे हैं।
पुलिस ने मामले में कहानी खूब बनाई, लेकिन महकमे के अफसरों के विरोधाभासी बयानों ने ही सबसे पहले इस पर सवाल खड़े कर दिए। इसमें सबसे पहला नाम आता है एडीजी ईओडब्ल्यू सुतापा सान्याल का। एडीजी के दो बयान, पहला यह कि वारदात में एक से ज्यादा लोग शामिल हैं और दूसरा यह कि पीड़िता के शव को अभी प्रिजर्व रखा जाएगा। लेकिन ये दोनों ही बयान गलत साबित हुए।
पुलिस ने जब खुलासा किया तो एक ही आदमी की भूमिका बताई और पीड़िता के शव का एडीजी के बयान देने के कुछ घंटो बाद ही आनन-फानन में अंतिम संस्कार कर दिया गया। शव के अंतिम संस्कार में पुलिस ने जिस तरह की हड़बड़ाहट दिखाई उससे शक और बढ़ गया।
पुलिस ने आरोपी रामसेवक यादव को गिरफ्तार करने के बाद जब आला ए कत्ल के रूप में चाभी का नाम लिया तो किसी को हजम नहीं हुआ। क्योंकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में चोट पहुंचाने के लिए लंबे, कठोर भोथरे चीज से वार करने की बात सामने आई। किसी भी विशेषज्ञ को यह बात हजम नहीं हुई कि हाथ में चाभी लेकर वार किए गए।
एक अहम साक्ष्य पीड़िता की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ही अब पुलिसिया कहानी पर सबसे बड़ा सवाल बन गई है। क्योंकि छह डॉक्टरों के पैनल द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में दो किडनी, कम उम्र समेत कई झोल हैं। इसके अलावा पोस्टमॉर्टम के दौरान जो धुंधली विडियो रिकॉर्डिंग की गई है वह और कई सवाल खड़े कर रही है।
पुलिस ने अपनी कहानी में बाराबंकी के देवा निवासी अजीज और उसके मोबाइल व सिम को भी फिट किया। वारदात के लिए आरोपी रामसेवक द्वारा अजीज का मोबाइल चुराना। फिर मोबाइल फेंककर सिर्फ सिम इस्तेमाल करना और अजीज का मोबाइल चोरी की रिपोर्ट न लिखाना किसी को भी हजम नहीं हुआ। पुलिस अधिकारी इसके लिए न तो कोई सटीक तर्क तलाश पाए न ही अजीज पर कार्रवाई कर सके।
जिन वैज्ञानिक जांचों को पुलिस आरोपित का फंदा बनाने की तैयारी कर रही थी। वही अब पुलिस के दावों को झुठलाने लगी हैं। जैसे हत्या में इस्तेमाल चाभी की फॉरेंसिक रिपोर्ट और मृतका के नाखूनों की डीएनए रिपोर्ट जिसमें आया है कि नाखूनों के सैंपल में रामसेवक के अलावा और कई लोगों का डीएनए भी है।