50 शिया मुसलमानों को 15 साल तक की क़ैद की सज़ा सुनाने के लिए बहरैन की तानाशाही सरकार की व्यापक स्तर पर आलोचना हो रही है।
बहरैन के न्यायिक सूत्रों के अनुसार, रविवार को एक बहरैनी न्यायालय ने इराक़ के धर्मगुरु हादी अल-मुदर्रेस्सी समेत अन्य अभियुक्तों की अनुपस्थिति में यह सज़ा सुनाई। इन लोगों पर 14 फ़रवरी क्रांति युवा गठबंधन की स्थापना का आरोप है।
बहरैन में आले ख़लीफ़ा शासन सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर आतंकवाद का आरोप लगाकर उन्हें जेल की सलाख़ों के पीछे धकेल देता है।
न्यायालय ने 16 अभियुक्तों को 15 साल, चार अन्य को दस साल और अन्य 30 को पांच साल की क़ैद की सज़ा सुनाई है।
फ़रवरी 2011 से बहरैन की जनता देश में लोकतंत्र व्यवस्था के लिए व्यापक आंदोलन छेड़े हुए है, जबकि आले ख़लीफ़ा शासन जनांदोलन दबाने के लिए हर प्रकार के ग़ैर क़ानूनी एवं अमानवीय हथकंडे अपना रहा है।