पर्यटन मंत्रालय ने विदेशी पर्यटकों सहित पर्यटकों की सुरक्षा के लिए निम्नलिखित कदम उठाये हैं:
1. पर्यटन मंत्रालय ने राज्य सरकारों/केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों को प्रमुख पर्यटन केन्द्रों पर पर्यटन पुलिस तैनात करने की सलाह दी है। इसके फलस्वरूप आंध्रप्रदेश, गोवा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, मध्यप्रदेश और ओडिशा की राज्य सरकारों/ केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने किसी न किसी स्वरूप में पर्यटन पुलिस तैनात कर दी है।
2. पर्यटन मंत्रालय ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के सहित सभी पक्षों के साथ सुरक्षित और सम्मानित पर्यटन के लिए आचार संहिता स्वीकार की है जिसमें महिलाओं और बच्चों समेत विशेष रूप से पर्यटकों और स्थानीय निवासियों की गरिमा, सुरक्षा और शोषण तथा उत्पीड़न से मुक्ति जैसे प्राथमिक अधिकारों के सम्मान के लिए किये जाने वाली पर्यटन गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के दिशा-निर्देश दिये गये हैं।
3. पर्यटन मंत्रालय अतिथि देवो भव की आवधारणा और पारंपरिक भारतीय मूल्यों के बारे में जनता और सभी पक्षों को जागरूक बनाने के लिए टेलीविजन पर सामाजिक जागरूकता अभियान चला रहा है। इस अभियान में दो कर्मिशियल शामिल हैं, पहले में पर्यटकों के साथ दुर्व्यवहार नहीं करने के प्रति जागरूकता और दूसरे में पर्यटन स्थलों और बाजारों को स्वच्छ बनाने के लिए जागरूकता दी जा रही है।
4. राजस्थान, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश सरकार को पायलेट आधार पर पर्यटन सुविधा और सुरक्षा संगठन (टीएफएसओ) स्थापित करने के लिए केन्द्रीय वित्तीय सहायता की स्वीकृति।
5. पर्यटन मंत्रियों का राष्ट्रीय सम्मेलन नई दिल्ली में 18 जुलाई 2013 और 21 अगस्त 2014 को आयोजित किया गया जिसमें यह संकल्प किया गया कि सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के पर्यटन विभाग पर्यटकों विशेष तौर पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे।
6. भारत को महिला पर्यटकों सहित अंतरराष्ट्रीय सुरक्षित गंतव्य बनाये रखने के लिए पर्यटन मंत्रालय ने बेवसाइट www.incredibleindia.org पर परामर्श डाल दिया है।
पर्यटन मंत्रालय ने राज्य सरकारों/केन्द्र शासित प्रदशों के लिए पर्यटकों की सुरक्षा के दिशा निर्देश और यात्रियों के लिए एहतियात बरतने के कुछ तरीके जारी किये है। राज्य सरकारों/केन्द्र शासित प्रदेशों और अन्य संबंधित अधिकारियों को दिये गये दिशा निर्देशों में सुरक्षा और जोखिम प्रबंधन के महत्व, श्रेष्ठ कार्यप्रणालियों की पहचान में सहायता और पर्यटकों के लिए सुखद अनुभव का आभास सुनिश्चित करने के लिए घनिष्ठ सहयोग के लिए प्रेरित करने पर बल दिया गया है। दिशा-निर्देश संकेतात्मक संदर्भ हैं जो श्रेष्ठ कार्यप्रणाली को साझा करने या स्वीकारने और पर्यटकों की बेहतर सुरक्षा के लिए अपने स्तर पर इन्हें डिजाइन करने में राज्यों के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। इन दिशा-निर्देशों के अलावा यात्रियों के लिए टिप्स यानी एहतियात बरतने के कुछ तरीके दिये गये हैं ताकि अतुल्य भारत में पर्यटकों की यात्रा को स्मरणीय अनुभव बनाया जा सके।
केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. महेश शर्मा ने राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।