नई दिल्ली। मुजफ्फरनगर और शामली में सांप्रदायिक दंगे के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को उत्तर प्रदेश सरकार ने तीन-तीन लाख रुपये की सहायता बढ़ाने का निर्णय लिया है। सरकार की ओर से यह जानकारी बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश पी सतशिवम की अध्यक्षता में मामले की कर रही सुनवाई बेंच को दी। इस बेंच में जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई और जस्टिस रंजन गोगोई शामिल हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट में दंगों के दौरान दुष्कर्म का शिकार हुई महिलाओं के नाम सार्वजनिक करने के अपने कदम के लिए माफी मांगी।
इससे पूर्व मृतक आश्रितों के लिए उप्र सरकार ने दस लाख रुपये, केंद्र सरकार ने दो लाख रुपये का एलान किया था। तीन लाख रुपये की सहायता बढ़ाने के साथ ही अब प्रत्येक मृतक आश्रित को 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता मिल सकेगी। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष हुए इस दंगे में 65 लोग मारे गए थे। दंगों में दुष्कर्म पीड़िताओं के नाम सार्वजनिक करने पर उत्तर प्रदेश सरकार ने बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त माफी मांगी। दंगों से संबंधित याचिकाओं पर जवाब में सरकार ने पीड़ितों का नाम उजागर कर दिया था। कानून दुष्कर्म पीड़ितों के नाम सार्वजनिक करने की इजाजत नहीं देता है।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पी सतशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान पीड़िताओं की ओर से पैरवी कर रहीं वरिष्ठ वकील कामिनी जायसवाल ने बहस के दौरान अदालत का ध्यानाकर्षण किया।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वकील यूयू ललित और गौरव भाटिया ने बिना शर्त माफी मांग ली। पीड़ितों की वकील कामिनी जायसवाल ने दलील दी कि यूपी पुलिस मामले की सही तरीके से जांच नहीं कर रही है, लिहाजा सीबीआइ को पूरे मामले की जांच का आदेश दिया जाना चाहिए। उन्होंने आरोपियों के बच निकलने की संभावना जताई। शीर्ष अदालत हिंसा प्रभावित मुजफ्फनगर, शामली और उससे आसपास के इलाकों में राहत और पुनर्वास कार्यो की निगरानी कर रही है।