पत्रकारों से संबंधित एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 में ड्यूटी के दौरान मारे जाने वाले पत्रकारों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। उनके काम के प्रतिशोध में हत्याओं की संख्या बीते साल कुछ तुलना में दोगुनी हुई है। कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) की ओर से बुधवार को ये रिपोर्ट जारी की गई।
अमरीका स्थित सऊदी पत्रकार जमाल खाशोगी की तुर्की में हत्या को रेखांकित करते हुए सीपीजे ने रिपोर्ट में कहा, ‘2018 में पत्रकारों को उनकी पत्रकारिता के बदले में निशाना बनाकर हत्या करने के मामलों की संख्या पिछले साल की तुलना में दोगुनी हो गई है।’
इस साल एक जनवरी से 15 दिसंबर तक इस तरह की कुल 53 मौतें दर्ज की गईं। 2017 में इसी अवधि में इन आंकड़ों पर गौर करें तो ये संख्या 47 रही, वहीं 2016 में 50 पत्रकारों की हत्या हुई थी।
रिपोर्ट में बताया गया कि इन मौतों में से कम से कम 34 की प्रत्यक्ष रूप से हत्या की गई, जबकि 2017 में 18 पत्रकारों की हत्या की गई थी। सीपीजे ने एक बयान में कहा, ‘अफगानिस्तान सबसे घातक देश है और इस वृद्धि के लिए जिम्मेदार है। ‘
संस्था ने कहा कि 13 पत्रकार दक्षिण एशिया देशों में मारे गए, जिनमें से नौ इस्लामिक स्टेट द्वारा 30 अप्रैल को किए गए दो आत्मघाती हमलों में मारे गए थे। इसमें दूसरा हमला किया ही उस वक्त गया था, जब पत्रकार घटना स्थल पर जुटने लगे थे।
सीपीजे ने कहा कि कुल 34 पत्रकार को उनके काम के प्रतिशोध में मौत के घाट उतारा गया। 11 की मौत दो तरफ से गोलीबारी या लड़ाई में हुई और अन्य आठ को खतरनाक अभियानों पर भेजा गया था जहां वे मारे गए।
साभार- ‘पत्रिका’