प्रेस विज्ञप्ति
आज दिनांक 15 जुलाई 2023 को शिया धर्मगुरूआंे का भव्य सम्मेलन इमामिया हॉल, नई दिल्ली में हुआ। जिसमें देश के विभिन्य प्रदेशों से आए शिया धर्मगुरूओं ने भाग लिया।
शिया धर्मगुरूओं के भव्य सम्मेलन की शुरूआत पवित्र कुरान की तिलावत से हुवी और सम्मेलन के उपरोक्त एजेंडे पर चर्चा हुई।
1-शिया धर्मगुरूआंे और जनता के बीच एकता को मजबूत करने की आवश्यकता है। 2-मेहराब और मिम्बर को व्यक्तिगत मतभेदों से अलग किया जाना चाहिए और केवल अहलेबैत अ0स0 की शिक्षा और फज़ाएल एवं मसाएबे आले मुहम्मद स0अ0 को बताना चाहिए। 3-अगर कोई शिया आस्था मे तोड़-मरोड करता है यानी अखबारी और मलनगी तो उसे सुधारना चाहिए और ना कि मिम्बर से उसे कोसा जाए। 4-कॉमन सिविल कोड हमारी शरीयत में हस्ताछेप है। 5-शिया समुदाए को प्रत्येक अल्पसंख्यक संस्थान में जनसंख्या के अनुपात 20 फीसदी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।
शिया धर्मगुरूआंे ने सम्मेलन में उपस्थित सभी धर्मगुरूआंे ने एक स्वर में कहा कि धर्मगुरूआंे को आपसी एकता के साथ जनता के बीच एकता को मजबूत किया जाना चाहिए क्योंकि हम लोग चौदह मासूमीन अ0स0 के मानने वाले है जिन्होंने हमें दूसरों के साथ एकजुट होने की सलाह दी है, हम तितर-बितर रहें यह आले मुहम्मद अ0स0 की शिक्षा नही है। इसके अलावा, व्यक्तिगत मतभेदों के लिए मिम्बर और मेहराब का उपयोग करने वालों की निंदा की जानी चाहिए क्योंकि ये ऐसे स्थान हैं जहां से सत्य और अस्त्य का संदेश फैलाना आवश्यक है, और वे लोग जो, शिया होते हुए भी आस्था केे खिलाफ अमल करते है उनहें मिम्बर से बुरा-भला कहने के बजाय बात चीत के जरिए से उनका सुधार की जाए। शिया उलमा सम्मेलन में 5 प्रस्ताव पारित किए गए जिनमें भारत सरकार और प्रदेशों की सरकारों के सामने अपनी मांगें रखीं।
1- शिया धर्मगुरूओं के भव्य सम्मेलन ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि देश की अखंडता और शांति एवं व्यवस्था बनाए रखते हुए शिया समुदाय के भीतर आपसी एकता को मजबूत किया जाए और सभी धर्मों के बीच एकता और भाईचारा बढ़ाया जाए। इसके अलावा किसी भी संगठन या समूह या आदि ताकतों के इषारे पर देश के समाजी ताना बाना को भंग करने का प्रयास करे और देष की अखंडता और शांति को खतरे में डालने की कोशिश करे उसकी कड़ी निंदा सबको करना चाहिए हैं।
यह महा सम्मेलन भारत सरकार से मांग करता है कि एैसी फिल्मों या पाठयक्रम जो किसी भी धर्म की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है उन को प्रतिबंधित किया जाए।
2-शिया धर्मगुरूओं के भव्य सम्मेलन ने कॉमन सिविल कोड विषय पर मुस्लिम पर्सनला बोर्ड की स्थिति का समर्थन करते हुए भारत सरकार से मांग की है कि देश में सिविल कोड लागू नहीं होना चाहिए क्यों कि अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं और सभी को संविधान के तहत अपनी आस्था के अनुसार जीवन वियापत करने का अधिकार है क्योंकि हमारे देश के संविधान ने हर भारतीय को अपने धर्म के अनुसार जीने का अधिकार दिया है।
3-शिया धर्मगुरूओं के भव्य सम्मेलन ने केंद्र सरकार और प्रदेष सरकारों से मांग है कि देश और प्रदेषों में अल्पसंख्यक संस्थानों में 20 फीसदी हिस्से दारी शिया समुदाय के लोगों के लिए सुनिक्षित की जानी चाहिए।
4-शिया धर्मगुरूओं का भव्य सम्मेलन भारत सरकार से मांग करता है कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक सभी राज्यों में अलग-अलग धर्म के लोगों को राज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया है और शिया समुदाय को हमेशा से नज़र अंदाज़ करते हुए वंचित रख गया है
हम मांग करते हैं कि शिया समुदाय के किसी व्यक्ति को राज्यपाल बनाया जाए और केंद्रीय मंत्रालय में भी शिया समुदाय का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए। इसके साथ ही सभी प्रदेष सरकारों से यह षिया धर्मगुरूओं का महा सम्मेलन मांग करता है कि हर प्रदेष सरकार को अपने कैबिनेट में एक शिया कैबिनेट मंत्री बनाया जाए।
5-शिया धर्मगुरूओं के भव्य सम्मेलन ने इस बात पर चर्चा हुई कि मुस्लिम समुदाय मे ईद-उल-फितर और ईद-उल-कुर्बान जो कि सम्मानजनक ईद हैं, लेकिन ईदे-गदीर, जो इस्लामी दृष्टिकोण से सबसे बड़ी ईद है, उस दिन हजरत मुहम्मद मुस्तफा स0व0 ने हज से लौटते हुए खुम के मैदान मे हजरत अली (अ.स.) को मुसलमानों का खलीफा बनाने की घोषणा की और उसी दिन इस्लाम धर्म मुकम्मल हुआ जिसका एलान कुरआन मे मौजूद है।
हजरत अली (अ.स.) सभी मुसलमानों के खलीफा हैं, इसके अलावा हर वर्ग और समुदाय हजरत अली (अ.स.) से आस्था रखता है क्यो कि हजरत अली अ0स0 ने अपना पूरा जीवन मानवता के लिए समरपित कर दिया था यही वजह है कि आज भी उनके जीवन पर शोध हो रहा है। इसलिए, हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि मुसलमानों की आस्था का ध्यान करते हुए 18 जिल हिज्जा ईद ग़दीर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करें।
संचालन अब्बास रज़ा नायर द्वारा किया गया। इसके अलावा, महा सम्मेलन में भारत के विभिन्न प्रदेशों से सैकडों की संख्या मे धर्मगुरूओंे ने भाग लिया। कश्मीर और कारगिल से मौलाना शेख खलीली और मौलाना शेख बेहश्ती, कर्नाटक से मौलाना सैयद मुहम्मद इब्राहिम बिहार से मौलाना अमानत हुसैन, झारखंड से मौलाना तहजीब-उल-हसन, पूर्वांचल उत्तर प्रदेश से मौलाना इब्ने हसन अमलवी, महाराष्ट्र से मौलाना जहीर अब्बास, राजस्थान से अली हैदर व मौलाना काजिम अली, तथा मौलाना ऐहतेशाम, उत्तराखंड से मौलाना गुलाम अली, और मौलाना इश्तियाक हुसैन, दिल्ली से मौलाना इमाम हैदर जैदी, मौलाना गजनफर अब्बास, मौलाना मुहम्मद मासूम, मौलाना जमां बाकारी, मौलाना सैयद अफजाल नकवी, मौलाना सैयद अतहर काजमी, मौलाना बाकिर काजमी, मौलाना वज़ीर हसन ज़ैनबी, मौलाना क़मर-उल-हसन, मौलाना सोहैल अब्बास, मौलाना शाबी -उल-हसन, मौलाना काज़िम वाहिदी, मौलाना नफ़ीस अख्तर, मौलाना मिर्ज़ा वाहिद हुसैन, मौलाना मज़हर ग़ाज़ी, मौलाना मुहम्मद अफ़ज़ल अब्बास, मौलाना सफी असगर, मौलाना रज़ी हैदर, मौलाना इंतेजाम हैदर, मौलाना शरर नकवी आदि।