भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मंगलवार को एडीलेड में तीन वनडे अंतराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों की सिरीज़ का दूसरा मैच खेला जाएगा.
इससे पहले भारतीय टीम सिडनी में खेले गए पहले मैच में 34 रन से हार गई थी.
ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सिरीज़ 2-1 से जीतने के बाद वनडे सिरीज़ जीतने के लिए अब भारतीय टीम को कड़ी मशक्कत करनी होगी.
सबसे पहले तो उसे दूसरा मुक़ाबला हर हाल में जीतना होगा ताकि सिरीज़ में बने रह सकें.
हालांकि अपनी इस हालत के लिए भारतीय टीम ख़ुद ज़िम्मेदार है.
जब सिडनी में ऑस्ट्रेलिया ने पलटी बाजी
सिडनी में कागज़ पर तो भारतीय टीम ही मज़बूत थी लेकिन बाज़ी मारी आस्ट्रेलिया ने.
पहले तो उसने 288 रनों जैसा चुनौतीपूर्ण स्कोर बनाया और उसके बाद अपने दो नए तेज़ गेंदबाज़ों के दम पर पूरी भारतीय टीम को अपने काबू में कर लिया.
महज़ चार रन पर ही शिखर धवन, कप्तान विराट कोहली और अंबाती रायडू के विकेट खोकर भारतीय टीम पहले ही मुश्किल में घिर चुकी थी.
इसके बाद रोहित शर्मा ने महेंद्र सिंह धोनी के साथ मिलकर चौथे विकेट के लिए 137 रन भी जोड़े.
रोहित शर्मा ने 129 गेंदों पर 133 रन भी बनाए. महेंद्र सिंह धोनी ने भी 96 गेंदों पर 51 रन बनाए. लेकिन इनके पैवेलियन लौटते ही दूसरे बल्लेबाज़ ना तो रन रेट बढ़ा सके और ना ही भारत को जीत दिला सके.
धोनी की फिर हुई आलोचना
धोनी अर्धशतक बनाने के बावजूद एक बार फिर आलोचनाओं के घेरे में आ गए.
क्रिकेट समीक्षक अयाज़ मेमन मानते हैं कि जब चार रन पर ही तीन विकेट गिर जाए, तब रोहित शर्मा और धोनी संभलकर नहीं खेलते तो शायद टीम 100 रन पर ही सिमट जाती. धोनी भी जब आउट हुए तब ज़रूरी रन रेट 7-8 प्रति ओवर था जो आज की क्रिकेट में बहुत बड़ा नहीं है. लेकिन इसका मतबल यह भी नहीं है कि धोनी और तेज़ ना खेलें.
अयाज़ मेमन कहते हैं कि धोनी को टीम पर बोझ नहीं बनना चाहिए.
आने वाले दो मैचों और उसके बाद न्यूज़ीलैंड दौरे से इस सवाल का जवाब मिल जाएगा, क्योंकि ऋषभ पंत बेहद खुलकर खेलते हैं. उन पर कोई दबाव भी नही है. वह छह या सात नंबर पर जगह ले सकते हैं. आज के क्रिकेट में धोनी को बदलना होगा क्योंकि रन रेट का चलन या मापदंड बन चुका है. अगर ऐसा ना हो तो टीम को नुकसान होता है.
विश्वकप जीतने की उम्मीद करना कितना सही?
अब पहले मैच में हार के बाद से और भी बहुत से सवाल भारतीय टीम पर खड़े हो गए हैं.
भारत के कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री विश्व कप की तैयारी को लेकर ही बात करते हैं. लेकिन क्या इस टीम से बहुत उम्मीद लगानी चाहिए.
अयाज़ मेमन मानते हैं कि इस टीम में कप्तान विराट कोहली, रोहित शर्मा और तेज़ गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह को छोड़कर शायद ही टीम में किसी की जगह पक्की हो.
सलामी बल्लेबाज़ शिखर धवन को भी रन बनाने होंगे वरना शुभमन गिल उनकी जगह ले सकते हैं. पृथ्वी शॉ भी टीम में आ सकते हैं.
मध्यम क्रम में अंबाती रायडू चोट के बाद टीम में आए हैं, उनका भी फॉर्म ठीक नहीं है. सबसे बड़ी बात कि क्या वह पूरी तरह फिट हैं और क्या इंग्लैंड में विश्व कप खेल सकते हैं.
कई सवाल, जिनके जवाब मिलने बाकी हैं
दिनेश कार्तिक आईपीएल तक तो ज़बरदस्त फॉर्म में थे लेकिन अब वह भी पहले जैसे नहीं हैं.
क्या उन्हें भी इंग्लैंड में ले जाना ठीक है. ऐसे बहुत से सवाल हैं.
कमाल की बात है कि ऐसे ही सवाल फिलहाल एकदिवसीय सिरीज़ में खड़े हो गए हैं. दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलिया ने दिखा दिया है कि वह टेस्ट क्रिकेट के मुक़ाबले एकदिवसीय और टी-20 में बेहतर टीम है.
सबसे बड़ी बात उसके दो युवा तेज़ गेंदबाज़ों ने उसकी सिरदर्दी काफी हद तक दूर कर दी है. रिचर्डसन और बेहरनडोर्फ ने ना सिर्फ तेज़ गेंदबाज़ी की बल्कि स्विंग भी हासिल की.
इसके अलावा बाकि गेंदबाज़ो ने भी क़िफायती गेंदबाज़ी की और समय-समय पर विकेट भी लिए. नाथन लॉयन को वापस लाने के लिए एडम जैम्पा जैसे स्पिनर को बाहर किया.
लॉयन काउंटी क्रिकेट भी खेले हैं और अनुभव की तो उनके पास कोई कमी है ही नहीं. सबसे बड़ी बात कि शायद इस टीम में डेविड वार्नर और स्टीव स्मिथ नहीं हैं, इसके बावजूद उनके बल्लेबाज़ो ने बेहतरीन बल्लेबाज़ी की. उस्मान ख़्वाजा, शॉन मार्स, पीटर हैंडस्कॉम पहले वनडे में दम दिखा चुके हैं और भारतीय गेंदबाज़ों के लिए ख़तरे की घंटी बजा चुके हैं.
ग्लेन मैक्सवेल और कप्तान एरन फिंच की क्षमता से भी हर कोई वाकिफ है.
उन्होंने साबित कर दिया कि यह टीम 150-200 पर आउट होने वाली नहीं है.
अयाज़ मेमन अंत में कहते हैं कि ठीक है टेस्ट सिरीज़ जीतना भारत की पहली प्राथमिकता थी लेकिन अगर टीम तीन में से दो सिरीज़ जीतती तो कहते कि बहुत ही सफल दौरा रहा.
टेस्ट क्रिकेट की तुलना वनडे क्रिकेट से नहीं की जा सकती. सेब और संतरे को एक जैसा नहीं मान सकते, लेकिन अगर भारत वनडे सिरीज़ भी जीता तो यह सोने पर सुहागा जैसा होगा और यह भारत का ऑस्ट्रेलियाई दौरा एवरग्रीन हो जाएगा.
अब देखना है कि मंगलवार को क्या होता है. भारत के लिए करो या मरो जैसे हालात हैं.