मानवाधिकार संगठनों के भारी दबाव के कारण सऊदी अरब की तानाशाही सरकार इसरा अलग़मग़ाम Israa al-Ghomgham
नामक एक शिया महिला कार्यकर्ता के मृत्युदंड को रद्द करने पर विवश हो गया है।
पूर्वी सऊदी अरब के क़तीफ़ क्षेत्र की इसरा ग़मग़ाम इस देश की पहली महिला राजनैतिक बंदी हैं जिन्हें उनके पति मूसा हाशिम के साथ 6 दिसम्बर 2015 को नागरिक गतिविधियों के कारण सऊदी सैनिकों ने गिरफ़्तार करके जेल में डाल दिया था। एमनेस्टी इंटरनैश्नल के मध्यपूर्व विभाग की प्रमुख समाह हदीद ने बताया कि अलग़मग़ाम को शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में भाग लेने के कारण अन्यायपूर्ण ढंग से जेल में रखा गया है। उन्होंने सऊदी अरब के अटार्नी जनरल से मांग की कि अन्य चार महिला राजनैतिक बंदियों को दिए गए दंड को भी रद्द किया जाए जिनके ख़िलाफ़ मुक़द्दमे की कार्यवाही अगस्त 2018 से शुरू हुई है।
समाह हदीद ने कहा कि शिया महिला कार्यकर्ता इसरा ग़मग़ाम अब भी जेल में बंद हैं और उनका दोष केवल इतना है कि उन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था। उन्होंने कहा कि इस महिला राजनैतिक बंदी के मृत्युदंड को तो रद्द कर दिया गया है लेकिन आंशा है कि उन्हें लम्बे समय के लिए जेल में बंद रखा जाएगा। एमनेस्टी इंटरनैश्नल ने “फ़्री अलग़मग़ाम” के नाम से इंटरनैट पर एक कैंपेन शुरू की है और सऊदी अरब की इस नागरिक कार्यकर्ता की बिना शर्त रिहाई की मांग की है।
साभार :parstoday.com