पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी पर नियुक्ति के पावन अवसर की पूर्व संध्या पर मस्जिदुल अक़्सा में 40000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनियों ने इस पावन अवसर की याद में धार्मिक गान गाए।
27 रजब बराबर 3 अप्रैल पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम की पैग़म्बरी की सालगिरह है।
इरना के अनुसार, मस्जिदुल अक़्सा वक़्फ़ मंत्रालय के जनसंपर्क विभाग के अधिकारी फ़रास अद्दिब्स ने बताया कि पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी पर नियुक्ति की सालगिरह पर मस्जिदुल अक़्सा के प्रांगण में क़ुब्बतुस सख़रा में 40000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी मौजूद थे।
अद्दिब्स के अनुसार, इतनी तादाद में फ़िलिस्तीनियों की मस्जिदुल अक़्सा में मौजूदगी, अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन के लिए संदेश है कि मस्जिदुल अक़्सा लाल रेखा है और बाबुर्रहमा नामक गेट बंद नहीं होगा।
ग़ौरतलब है कि ईदे मबअस वह दिन है जिस दिन ईश्वर ने पैग़म्बरे इस्लाम को जनता के मार्गदर्शन के लिए पैग़म्बर नियुक्त किया।
पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी इंसान को अनेकेश्वरवाद, अन्याय, भेदभाव, अज्ञानता और भ्रष्टाचार से निकालने तथा एकेश्वरवाद, अध्यात्म, न्याय और मानवीय प्रतिष्ठा की ओर ले जाने वाले मार्ग का आरंभ है।