45वां भारत अतंर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव इस बार पूर्वोत्तर सिनेमा पर केन्द्रित है। भारत अतंर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में उत्तर-पूर्व की सिनेमाई प्रस्तुति को पिछले साल विशेष सत्र के तहत प्रमुखता से जगह दी गई। इस साल एक विशेष सेक्शन “पूर्वोत्तर से देखो” में वैसी फिल्मों को प्रमुखता से दिखाने की योजना है, जो महिला केन्द्रित कहानियों पर आधारित है। उत्तर-पूर्व की असल जिंदगी को सिनेमाई परदे पर दिखा कर वहां की स्त्रीशक्ति को प्रतिबिंबित करना है। इन्हीं कुछ सिनेमाई दृश्यों को देखकर वहां की विशिष्ट संस्कृति की झलक मिलती है, जो हकीकत है।
पद्म बरूआ की गंगा चिलानीर पाखी (1976), जो साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता लेखक लक्ष्मीनंदन बोरा के पात्र केन्द्रित उपन्यास पर आधारित एक क्लासिक फिल्म का प्रदर्शन इस महोत्सव के दौरान किया जाएगा। दिखाई जाने वाली अन्य फिल्मों में हैं अरिबम श्याम शर्मा की सनबी, डॉ. सांत्वना बोरदोलई की आदज्या (1997 के भारत अतंर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव विशेष ज्यूरी पुरस्कार से सम्मानित), ओनम गौतम सिंह की फिजी मनी, पुलिनथानाथ की मठिया, भावेंद्रनाथ सैकिया की अबार्टन और मंजू बोरा की आकाशीटोरार कटारे शामिल है।
महिला केन्द्रित मूल्यों पर आधारित कुछ गिनी-चुनी फिल्में है, जो हाल के वर्षो में बनी हैं। इसके अलावा कुछ अलग हटकर बनी फिल्में मसलन जाहनु वर्मा की फिल्म के अलावा प्रदीप कुर्बा की फिल्म खासी फिल्म री, भारत अतंर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के भारतीय पैनोरमा सेक्शन की महत्वपूर्ण फिल्में होंगी।