कोई बता दे मैं किस जहां से हूं
परेशान सी हूं,
हैरान सी हूं,
न जाने क्यों मैं गुमनाम सी हूं,
कोई साया इधर से गुजरे,
तो बता दे कि मैं किस जहां से हूं,
जाना था कहीं,
कहां ले आया मुकद्दर,
कोई गुजरे जरा इधर से,
तो बता दे कि मैं यहां किस शाम से हूं,
कदम ठहर गए हैं,
मगर जमीन चल रही है,
जिंदा तो हूं मैं,
जीने की जिद चली गई है,
कोई गुजरे जरा इधर से
तो बता दे कि मैं जिंदा यहां किस काम से हूं
बुझता हुआ चिराग,
रोशनी संग ले गया,
जो कल तक मेरा था,
वो मेरा न रह गया,
कोई गुजरे जरा इधर से
तो बता दे कि अब मैं यहां किस आस में हूं
आंसुओं को रोकना बेकार है,
दर्द की दहलीज लांघना इनका काम है,
चांद से चांदनी फिर हुई है खफा,
मिलना-बिछुड़ना तो हर शाम आम है,
कोई गुजरे जरा इधर से,
तो बता दे कि मैं यहां किसके इंतजार में हूं।
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