लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ काबीना मंत्री मोहम्मद आजम खान को मंत्री होने के बावजूद मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय का कुलाधिपति बने रहने के औचित्य पर आज नोटिस जारी किया। हालांकि अदालत ने कथित तौर पर ‘हेट स्पीच’ देने संबंधी आरोपों के मामले में राज्य के नगर विकास मंत्री खां के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश देने का आग्रह नामंजूर कर दिया। इस मुद्दे पर खान को फिलहाल राहत मिल गयी है।
न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार त्रिपाठी की खंडपीठ ने आज यह आदेश दो स्थानीय लोगों की याचिका पर दिया। याचियों का आरोप है कि सूबे के कैबिनेट मंत्री रहते हुए खान जौहर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी बने हुए हैं जो कानून के तहत गलत है। दूसरा आरोप है कि खान ने संवैधानिक पद पर रहते हुए एक धर्मगुरू के खिलाफ नफरत भरे बयान दिये। ऐसे में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराए जाने के निर्देश दिये जाने चाहिए।
उधर, राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोदियाल ने दलील दी कि आजम खां लाभ का पद धारण करने के कानूनी दायरे में नहीं आते और उनके खिलाफ कथित हेट स्पीच मामले में रिट जारी नहीं की जा सकती। न्यायालय ने मंत्री होने के बावजूद कुलाधिपति बने रहने के मामले में पक्षकार आजम खान को नोटिस जारी कर उन्हें तथा राज्य सरकार को जबाव दाखिल करने को छह हफ्ते का समय दिया है। इसके बाद दो हफ्ते में याचियों की तरफ से प्रति उत्तर दाखिल किया जा सकेगा। इस मामले की अगली सुनवाई दो माह बाद होगी।