बहरैन में आले ख़लीफ़ा शासन द्वारा क़ैद किए गए राजनेताओं और कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए एक बार फिर जनता सड़कों पर निकली।
शनिवार को बहरैन के विभिन्न इलाक़ों में सैकड़ों की संख्या में लोग सड़कों पर आए और उन्होंने बहरैन के सबसे बड़े विपक्षी दल अलवेफ़ाक़ के महासिच शैख़ अली सलमान सहित सभी राजनैतिक बंदियों की रिहाई की मांग दोहरायी।
राजधानी मनामा की अलमुसल्ला रोड और शैख़ सलमान के वतन बिला अलक़दीम में लोगों ने सड़कों पर निकल कर प्रदर्शन किया। इसी प्रकार का प्रदर्शन राजधानी मनामा के पश्चिम में स्थित अबू सैबा गांव और पूर्वोत्तरी गांव समाहीज में भी हुआ।
यह बहरनी जनता का श्रंख्लाबद्ध प्रदर्शनों का नया क्रम है। बहरनी जनता ने उस वक़्त तक प्रदर्शन जारी रखने की क़सम खायी है जब तक आले ख़लीफ़ा शासन प्रजातांत्रिक तरीक़े से चुनी गयी सरकार के गठन की मांग को पूरा नहीं कर देता।
बहरैन में फ़रवरी 2011 से आले ख़लीफ़ा शासन के ख़िलाफ़ हज़ारों प्रदर्शन हो चुके हैं।
विपक्ष के नेता शैख़ अली सलमान को दिसंबर 2014 में शासन में परिवर्तन की कोशिश करने और विदेशी शक्तियों के साथ सहयोग के आरोप में जेल में बंद रखा गया है। हालांकि उन्होंने अपने ऊपर लगे सभी इल्ज़ाम को बारंबार रद्द किया है। उनका कहना है कि वह शांतिपूर्ण ढंग से सुधार चाहते हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार आयोग और एम्नेस्टी इंटरनेश्नल ने भी यह कहते हुए शैख़ सलमान की रिहाई की मांग की है कि उनके ख़िलाफ़ ठोस सुबूत नहीं है।
आले ख़लीफ़ा शासन ने सैकड़ों लोगों को सिर्फ़ शांतिपूर्ण प्रदर्शन में भाग लेने के कारण कुख्यात जॉ नामक जेल में बंद कर रखा है। प्रजातंत्र और मानवाधिकार की रक्षा का दम भरने वाली सरकारें, बहरैन में मानवाधिकार के उल्लंघन के विषय पर ख़ामोश तमाशायी बनी हुयी हैं।