बगदाद:इराक में आतंकियों ने अपने कब्जे वाले हिस्से में रहे गैर-इस्लामी लोगों से कहा है कि या तो वे धर्म बदल लें या फिर उन्हें धार्मिक टैक्स दें या फिर जान गंवाने को तैयार रहें। इराक के कई शहरों पर कब्जा कर उसे इस्लामिक स्टेट घोषित करने वाले आतंकियों के निशाने पर मुख्यतः मोसुल शहर में रह रहे ईसाई हैं।
इस्लामिक स्टेट की ओर से बांटे गए बयान में कहा गया है कि यह आदेश शनिवार से लागू हो जाएगा। इसके अलावा शुक्रवार को मोसुल में मस्जिदों से भी चेतावनी जारी की गई कि इस आदेश को न मानने वालों के पास शहर छोड़ने को कुछ ही घंटे हैं। इस डर से मोसुल से भारी संख्या में ईसाई पलायन कर रहे हैं। आतंकी संगठन आईएसआईएस ने करीब एक महीने पहले किए गए हमले में इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था।
आदेश में कहा गया है कि जो ईसाई इस्लामिक स्टेट (कैलिफेट) में रहना चाहते हैं, उन्हें एक ऐतिहासिक समझौते को मानना पड़ेगा। ‘धीमा’ नाम के इस समझौते के तहत मुस्लिम क्षेत्रों में रहने वाले उन गैर-मुस्लिम लोगों को सुरक्षा दी जाती थी जो एक टैक्स ‘जीजिया’ का भुगतान करते थे।
आदेश में कहा गया है- ‘हमने उनके लिए तीन रास्ते छोड़े हैं- इस्लाम, धीमा और ये दोनों स्वीकार न हों तो फिर तलवार।’
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इस्लामिक स्टेट के नेता अबू बकर अल बगदादी, जिसे अब खलीफा इब्राहिम कहा जा रहा है, ने ईसाइयों को उनका इलाका छोड़ने के लिए शनिवार तक का वक्त दिया है। साथ ही उन्हें जरूरत से अधिक सामान ले जाने की इजाजत नहीं है और उनकी संपत्तियों पर इस्लामिक स्टेट का कब्जा हो जाएगा।