#सुनीलदत्त साहब #लखनऊ आये थे 1949 में । उनको किराये पर मकान मिला #गन्ने वाली गली में। यहां उनकी पहचान थी “अख़्तर” के तौर पर। किराया था दो रुपये महीना। यहां उनके साथ माखी जानी भी आ... Read more
#सुनीलदत्त साहब #लखनऊ आये थे 1949 में । उनको किराये पर मकान मिला #गन्ने वाली गली में। यहां उनकी पहचान थी “अख़्तर” के तौर पर। किराया था दो रुपये महीना। यहां उनके साथ माखी जानी भी आ... Read more
Copyright © Shahernama - All Rights Reserved