रामपुर (शन्नू खान)उलेमा इकराम और मुफ्ती ए शहर के साथ जिलाधिकारी की लंबी बातचीत के बाद जंजीर शाह बाबा का मजार वहीं तामीर कराने का फैसला किया गया बातचीत में उलेमाओ ने रियासत कालीन गजट और तारीख की किताब तजकिरा ए कामिलाने रामपुर का हवाला देते हुए सैयद जंजीर शाह बाबा की मजार होने के सुबूत पेश किए साथ ही उसका रजिस्ट्रेशन भी दिखाया जिस पर जिलाधिकारी एके सिंह ने मजार को वहीं बनाने का निर्णय किया इसे लेकर दानिशवर और रामपुर की आवाम में खुशी का माहौल है
आपको बता दें कि प्रशासन ने जंजीर शाह बाबा का मजार असामाजिक तत्व और नशेड़ीओं का हवाला देते हुए मजार का ढांचा मिसमार कर दिया था जिसको लेकर काफी आक्रोश था
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नबीरा ए आला हज़रत शहज़ादा ए हुज़ूर रेहान ए मिल्लत हज़रत मौलाना अलहाज तस्लीम रज़ा खान साहब, दरगाह आला हज़रत
बरेली शरीफ से अपने एक वफद के साथ खानकाहै नूरिया लाल मस्जिद पहुंचे और क़ाज़ी ए शरा वा मुफ्ती ए ज़िला रामपुर सैयद फैज़ान रज़ा हसनी नूरी से मुलाकात की और शहर रामपुर में जंजीर शाह बाबा के मज़ार की मिस्मारी पर इंतिहाई अफसोस जताते हुए ज़िला इंतज़ामिया रामपुर के इस मज़मूम अमल की सख्त अल्फाज़ में मज़म्मत की
दौराने गुफ्तगू आपने कहा हम रेगुलर वाच कर रहे हैं ।
के हुकूमत वा ज़िला इंतजामियां अपनी नाकामियों कि पर्दा पोशी के लिए बराबर मुसलमानों के जज़बात से खिलवाड़ कर रही है अगर ज़िला इंतज़ामिया रामपुर अपने इस अमल से बाज़ ना आई और उसने मज़ार मुबारक की तामीरे नो नहीं कराई तो ,मरकज़ ए अहले सुन्नत दरगाह आला हज़रत बरेली शरीफ,, उसके खिलाफ सख्त एक्शन लेगी और जो कुछ कानूनी चारा जोई बन पड़ेगी उस से भी पीछे नहीं हटेगी । मज़ार की मिसमारी में क़ुरआने करीम की बेहुरमति और पामाली का अंदोहनाक सानिहा भी सामने आया है। जो यकीनन इनतिहाई तकलीफ देह और काबिले सद मज़म्मत है।
फिर उसके बाद वहां से काज़ी शरा के हमराह जंजीर शाह बाबा के मज़ार का मुआयना करने के लिए तशरीफ ले गए जहां मज़ार की मिसमारी को देखकर आबदीदह हो गए और फरमाया आखिर यह मुतअसिब हुकूमत वा ज़िला इंतज़ामिया। चाहती क्या है।?
क्या वह मुसलमानों के जज़बात से खिलवाड़ करके उन्हें सड़कों पर उतारना चाहती है।? या फिर शहर व ज़िला में फितना व फसाद की आग भड़काना चाहती है।?
ताकि वह फसादज़दगान को क़ानूनी दाओ पेंच मे उलझा कर उन्हें पसे ज़िनदान डाल सके।
आख़िर मे काज़ी ए शरा ने कहा ।दुनिया जान ले हम “क़बर बिला मकबूर” (फर्जी कबर) के हरगिज़ क़ाइल नहीं के क़बर बिला मकबूर की तामीर वा ज़ियारत करने वाले पर अल्लाह की लानत होती है ।
लेकिन क़बर बिलमकबूर(असली कबर) की ज़ियारात और उसका अदबो एहतराम वा तहफ्फुज़ हमारा दीने इस्लाम हमे सिखाता है ।
जंजीर शाह बाबा का मज़ार कोई अफसाना नहीं हकीकत है जो तारीख के सीने में आज भी महफूज़ है और क़बर बिलमकबूर है। जिस की तोहीन हम हरगिज़ बर्दाश्त नहीं करेंगे