एस आर एच रिज़वी
लखनऊ। हुसैनाबाद इलाक़े के घंटाघर पर अभी कुछ दिन पहले तक लगने वाली दुकानों पर पुलिस और सरकार का ऐसे कहर टूटा की दुकाने बंद होने के साथ साथ न जाने कितने घरों के चूल्हे बुझ गए। दुकानदारों के बच्चे भूख से तड़पने की कगार पर है। कई दुकानदारों से बात करने पर एहसास हुआ की एक तो गरीबी उस पर बेरोज़गारी ने ज़िंदगी जीना दूभर कर दी है।
हुसैनाबाद के घंटाघर पर आसपास इलाक़े के लोग मामूली दुकाने लगाकर किसी तरह दो वक़्त की रोटी कमाकर परिवार का पेट पाल रहे थे। इनमे तमाम ऐसे लोग थे जिन्होंने छोटा सा धंधा क़र्ज़ लेकर शुरू किया था। इन्ही में कुछ बेरोज़गार युवा भी थे जिन्होंने बूढ़े माँ बाप को सहारा देने के लिए सड़क किनारे छोटा सा रोज़गार शरू किया था।
दूसरी ओर कुछ दुकानदारों ने स्थानीय लोगों की शिकायत की जो तह बाज़ारी के नाम पर हुसैनाबाद ट्रस्ट को नुकसान पहुँचाते हैं.तथाकथित नवाब और उनके परिजन इस रंगदारी में शामिल हैं
मगर सरकार और पुलिस के अड़ियल रवैये के चलते न सिर्फ दुकाने हटाई गई बल्कि गरीबों के चूल्हे तक बुझ गए है। हटाए गए दुकानदार इन दिनों मज़दूरी की तलाश में इधर उधर भटक रहे है। कुछ दुकानदारों और युवाओं ने गरीबी और बेबसी का दुखड़ा रोते हुए कहा की कर्ज़ा लेकर छोटा सा रोज़गार शुरू किया था। अब तो रोज़गार से तो दूर हुए ही साथ साथ कर्जदार भी बने हुए है। इन गरीबों ने बेबसी ज़ाहिर करते हुए कहा की पुलिस और सरकार सिर्फ हम लोगों को कानून कायदा सीखा रही है।
शहर में न जाने कितने करोड़पति अवैध कब्ज़े करके शान से ज़िंदगी गुज़ार रहे है। इसके अलावा चौक, अलीगंज, निशातगंज, महानगर, हज़रतगंज, ठाकुरगंज , नरही जैसी तमाम जगह पर लोग सड़कों पर अतिक्रमण करके रोज़गार कर रहे है। मगर सरकार, पुलिस और नगर निगम की निगाहें उधर क्यों नहीं जाती। हुसैनाबाद से हटाए गए दुकानदारों ने आरोप लगते हुए कहा की सरकार भेदभाव कर रही है। यहाँ लोगों ने बताया की इलाक़े मे रहने वाले तमाम ऐसे लोग है जो सरकार के काफी करीबी है, मगर अपनी झोली भरने के लिए मुँह बंद किए हुए है।
बेरोज़गार युवाओं ने कहा की माँ बाप का सहारा बनने के लिए काम शुरू किया था। मगर सरकार युवाओं को आगे बढ़ते हुए देखना ही नहीं चाहती। वही पुलिस भी युवाओं पर ख़ास मेहरबान रहती है ज़रा सी रात होते ही युवाओं पर निगाह रहती है।
पुलिस मौक़ा पाते ही गरीब तबके के युवाओं को किसी मामले में आरोप लगाकर हवालात की हवा खिला देती है इसके एवज़ में पुलिस अपनी वाह वाही भी हासिल कर लेती है। युवाओं और बेरोज़गारों के आरोपों से यह साफ़ ज़ाहिर हो रहा था की मानो इन पर कितनी मुसीबत टूट पड़ी है।
Ghanta Ghar
Known as Husainabad Clock Tower, the iconic structure of #Lucknow is considered tallest among all the clock towers in India pic.twitter.com/rGgVcoO9Wi— Indian Diplomacy (@IndianDiplomacy) August 29, 2017
इलाक़े में रहने वाले रमेश और ज़ाहिद काफी बुज़ुर्ग है। इन दोनो ने बताया की 10 हज़ार का कर्ज़ा लेकर लड़के को रोज़गार शुरू कराया था। ताकि पुलिस की बुरी निगाह न पड़े लड़का भी अपने पैरों पर खड़ा हो सके। मगर सरकार, नगर निगम और पुलिस की कारवाही ने घर के चूल्हे तक बूझा दिए है।
दूसरी ओर कुछ दुकानदारों ने स्थानीय लोगों की शिकायत की जो तह बाज़ारी के नाम पर हुसैनाबाद ट्रस्ट को नुकसान पहुँचाते हैं.तथाकथित नवाब और उनके परिजन इस रंगदारी में शामिल हैं
It was built as a replica of the Big Ben(London) and is commonly referred to as Ghanta Ghar in the city. #BawmbeOnRoad #Lucknow pic.twitter.com/eph4OPH84d
— Hrishikesh (@bawmbe) April 16, 2019
सोशल मीडिया पर कुछ दिनों से यह तस्वीर विरुल हो रही है जिसमें एक पुलिस कर्मी रूमी गेट की दीवार को गन्दा का रहा है