अली हसनैन आब्दी फ़ैज़
राजधानी के अमीनाबाद के व्यापारी व पटरी दुकानदार अब खुलकर एक दूसरे के खिलाफ आमने-सामने आ गए हैं. व्यापारियों ने शुक्रवार को अमीनाबाद बंद कराने के लिए पैदल मार्च निकाल रहे थे. इसी दौरान पटरी दुकानदारों ने भी व्यापारियों के विरोध में नारेबाजी शुरू कर दी. जवाब में व्यापारी भी नारेबाजी करने लगे. घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और मामले को शांत कराया.
जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को स्थाई दुकानों के सामने पटरी दुकानों को अनुमति देने के खिलाफ अमीनाबाद संघर्ष समिति और लखनऊ व्यापार मंडल के व्यापारियों ने पैदल मार्च निकाला. इसके साथ ही शनिवार को एक दिन की बंदी की भी घोषणा की. इसके लिए वह दुकानदारों से सम्पर्क कर रहे थे. वहीं पिछले छह माह से दुकानें खोलने की अनुमति न मिलने से पटरी दुकानदारों में भी भारी आक्रोश है. उन्होंने शुक्रवार को दोपहर लगभग 12 बजे झण्डे वाले पार्क के सामने बड़ी संख्या में जुटकर प्रदर्शन करके अपनी नाराजगी जाहिर की थी.
इस मौके पर लखनऊ व्यापार मंडल के वरिष्ठ महामंत्री अमरनाथ मिश्रा जो नागरिक सुरक्षा में चीफ वार्डन के पद पर कार्यरत हैं उन्हें ने कहा कि यदि दुकानों के सामने पटरी दुकाने लगाने के आदेश पर रोक नही लगी तो अमीनाबाद के व्यापारी बेमियारी बंदी करने के लिए मजबूर हो जाएंगे.
व्यापारी बहुत परेशान हैं यही नही बाद में पूरे शहर को बंद करने का फैसला किया जा सकता है. वहीं दूसरी ओर पटरी दुकानदारों के नेता गोकुल प्रसाद ने कहा कि पटरी दुकानदारों ने कोई विरोध नहीं किया है. लेकिन व्यापारियों ने प्रदर्शन के दौरान नारेबाजी कर पटरी दुकानदारों को उकसाने की कोशिश की थी.
हालात बहुत गंभीर है और कभी भी उग्र हो सकते हैं
अमीनाबाद, लखनऊ का एक बाजार है जिसे शाह आलम द्वितीय ने 1759 – 1806 के दौरान विकसित किया था। उसने ही इमामबाड़ा, फीलखाना और कई अन्य दुकानों के अलावा एक उद्यान भी बनवाया था।
उसकी मृत्यु के बाद, उसकी पत्नी ने नवाब वाजिद अली शाह के मंत्री, इमदाद हुसैन खान अमीनाद्दौला को सम्पत्ति देकर निपटारा कर दिया। बाद में उसने यहां कई गार्डन, पार्क, बड़े – बड़े घर, एक मस्जिद और एक बाजार विकसित कर दिया जिसे अमीनाबाद के नाम से जाना जाता है। अमीनाबद के विशाल बाजार परिसर में एक पार्क भी है जिसका उद्घाटन लेफ्टिनेंट द्वारा किया गया था।
18 फरवरी 1911 को जनरल हेविट ने अमीनाबाद को लखनऊ का दिल कहा था। यह बाजार लगभग 165 साल पुराना है। यहां वास्तव में कई बाजारों का समूह है जैसे – प्रताप मार्केट, स्वदेश मार्केट, मोहन मार्केट और भी अन्य बाजार।
अमीनाबाद में कई खाने – पीने की शॉप भी हैं जहां टुंडे कबाब, द्विवेदी सारी,प्रकाश कुल्फी, माताबदल पंसारी जैसे कई ब्रांड भी मिलते हैं। परंतु करोना काल में अमीनाबाद एक खास वजह से जाना जा रहा है वह दुकानदारों और पटरी दुकानदारों के बीच का विवाद आज अमीनाबाद में पटरी दुकानदारों के विरोध में पक्के दुकानदार सड़क पर उतर आए और अमीनाबाद बाजार को बंद रखा गया अपने इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ होगा कि जब गरीब फेरी वालों और पटरी दुकानदारों के विरूद्ध अमीनाबाद बाजार के दुकानदार सड़क पर उतरे हैं.
भारी आर्थिक मंदी के चलते यह सड़क पर नहीं आ रहे और जो कुछ आते भी हैं तो वह पटरी दुकानदारों से सस्ती मंदी चीजें लेकर चले जाते हैं जिससे दुकानदार बहुत परेशान है कि ग्राहक उनकी दुकान तक पहुंच ही नहीं रहे दूसरी बात यह क्या पटरी दुकानदारों की वजह से सड़क तन हो जाती है और बाइक लगाने पर पुलिस बाइक का चालान कर देती है अगर ग्राहक 2 मिनट को भी सड़क पर गाड़ी कहीं छोड़ता है तो पुलिस द्वारा उसका चालान कर दिया जाता है
प्यार मोहब्बत के लिए जाने जाना वाला अमीनाबाद आज एक अखाड़ा बनकर रह गया भारी मंदी के चलते दुकानदार अपने सेल्समैन के लिए तनखा निकालने को परेशान हैं ऊपर से पटरी दुकानदार उनकी दुकानें गिरे बैठे रहते हैं और बहुत तेजी से गहक लपक लेते हैं