लखनऊ 3 अप्रैल मुंबई में इमामबाड़ा जेनेबिया को बेचे जाने के मामले की निंदा करते हुए इमामे जुमा मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने कहा कि वक्फ संपत्ति की खरीद बिक्री वैध नहीं है और इमामबाड़ा जेनेबिया जो मीर बब्बर अली के नाम से मषहुर हुआ वक्फ संपत्ति है जिसकी पुष्टि 1910 में हुई शिया कााॅफें्रस की रिपोर्ट से भी हो जाती है।
इस सम्मेलन की अध्यक्षता नासेरउलमिल्लत ने की थी .मोलाना कल्बे जव्वाद ने मौलाना महमुदुउल हसन जौनपुरी का एक पत्र भी दिखाया जो आसफी मस्जिद में नमाजियों को वितरित किया गया था जिसमें शिया सम्मेलन की रिपोर्ट जुड़ा थी और इमामबाड़ा जेनेबिया के वकफ होने की पुष्टि थी।
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इमामबाड़ा जेनेबिया मोहम्मद अली शाह बादशाहे अवध संस्थापक हुसैनाबाद ट्रस्ट ने ही उसकी स्थापना की थी ।ये इमामबाड़ा इस उद्देश्य से बनाया गया था कि वह हाजी और जायर जो घर बार छोड़कर हुसैनाबाद ट्रस्ट के पूंजी से मुंबई आते थे कोई उचित जगह न होने के आधार पर हैरान व परेषान रहते थे इसलिए उनके रहने के लिए मोहम्मद अली शाह ने मुंबई में इस इमामबाड़े के निर्माण के लिए मीर बब्बर अली को तैनात किया और निर्माण के सारे खरचे शाही खजाने ने वहन किए .ा
इमामबाडे का निर्माण उस समय पूरा हुआ जब मोहम्मद अली शाह का निधन हो गया और अमजद अली शाह अवध के बाशाह हुए इसी लिए मीर बबर अली ने इन्तेकाल अधिकार स्वामित्व के दस्तावेज के शीर्षक से 14 जून 1842 को अमजद अली शाह के नाम की थी .आगे चलकर मीर बब्बर अली की संतान ने इमामबाड़े पर कब्जा कर लिया । इमामबाड़े की कोई खबर हुसैनाबाद ट्रस्ट ने नहीं ली ा और आज वे बेच दिया गया जिसमें बड़े बिल्डर और लखनऊ के मौलवी भी बिक्री में शामिल हैं।
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